दिवाली के दूसरे दिन मनाई जाने वाली गोवर्धन पूजा का इंतजार हर साल भक्त बेसब्री से करते है. यह पर्व भगवान श्रीकृष्ण द्वारा इंद्र के अभिमान को तोड़ने और गोवर्धन पर्वत की पूजा के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है, लेकिन इस त्योहार को लेकर लोगों के मन में संशय बना हुआ है. ऐसे में आइए पंचांग के अनुसार, जानते हैं कि गोवर्धन पूजा का त्योहर किस दिन मनाया जाएगा?
गोवर्धन पूजा 2025 की सटीक तारीख
गोवर्धन पूजा का त्योहार हर वर्ष कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को मनाया जाता है. इस साल कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि 21 अक्टूबर यानी आज शाम 5 बजकर 57 मिनट पर शुरू हो रही है. इस प्रतिपदा तिथि का समापन कल यानी 22 अक्टूबर को रात 08 बजकर 18 मिनट पर हो रहा है. ऐसे में उदयातिथि की मान्यता के अनुसार, इस साल गोवर्धन पूजा का त्योहार कल मनाया जाएगा.
गोवर्धन पूजा का शुभ मुहूर्त
कल गोवर्धन पूजा का शुभ मुहूर्त प्रात: काल 6 बजकर 26 मिनट पर शुुरू हो जाएगा. ये मुहूर्त 8 बजकर 48 मिनट तक रहने वाला है. लोगों को कुल 01 घंटे 16 मिनट की पूजन अवधि मिलने वाली है. गोवर्धन पूजा का दूसरा मुहूर्त दोपहर 3 बजकर 29 मिनट से शुरू होगा. ये मुहूर्त शाम 5 बजकर 44 मिनट तक रहने वाला है. इस दौरान पूजा की कुल अवधि 2 घंटे 16 मिनट है.
गोवर्धन पूजा की विधि
गोवर्धन पर्वत का प्रतीक बनाएं — गाय के गोबर या मिट्टी से पर्वत का रूप तैयार करें.
कृष्ण और गायों की पूजा करें — दूध, दही, घी, गोबर और गोमूत्र से पंचगव्य अर्पित करें.
अन्नकूट भोग लगाएं — विभिन्न प्रकार के व्यंजन, मिठाइयाँ और अन्न भगवान को समर्पित करें.
परिक्रमा करें — गोवर्धन पर्वत या उसके प्रतीक की सात परिक्रमा लगाएं.
भजन-कीर्तन करें — “गोवर्धनधारी श्रीकृष्ण” के नाम का स्मरण करते हुए आरती करें.
क्या करें और क्या न करें
क्या करें: गायों को चारा और भोजन कराएं, अन्नकूट में सात या 56 व्यंजन का भोग लगाएं, बच्चों और बुजुर्गों के साथ भक्ति गीत गाएं.
क्या न करें: इस दिन किसी का अपमान या झगड़ा न करें, भोजन बनाते समय प्याज-लहसुन का प्रयोग न करें, पूजा के समय मोबाइल या टीवी देखने से बचें,
गोवर्धन पूजा का महत्व
पौराणिक कथा के अनुसार, भगवान श्रीकृष्ण ने जब इंद्रदेव द्वारा की जा रही अत्यधिक वर्षा से ब्रजवासियों की रक्षा के लिए गोवर्धन पर्वत को अपनी छोटी उंगली पर उठाया, तबसे यह पर्व मनाया जाता है, यह दिन हमें सिखाता है कि अभिमान नहीं, आस्था और सहयोग ही सच्ची शक्ति है.
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