भारत में त्योहारों का एक खास महत्व है, और जब बात हो सुख-समृद्धि की, तो धनतेरस (Dhanteras) का पर्व सबसे पहले याद आता है. दीपावली की शुरुआत इसी शुभ दिन से होती है, जिसे धन त्रयोदशी भी कहते हैं. पंचांग के अनुसार, इस बार धनतेरस का पर्व शनिवार, 18 अक्टूबर 2025 को मनाया जाएगा. धनतेरस का त्योहार हर साल कार्तिक कृष्ण त्रयोदशी के दिन मनाया जाता है. यह दिन धन, समृद्धि और नए आरंभ का प्रतीक माना जाता है. लोग इस दिन सोना-चांदी, बर्तन, इलेक्ट्रॉनिक्स, और अब आधुनिक समय में नए वाहन भी खरीदते हैं, लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि धनतेरस पर गाड़ी खरीदने की परंपरा आखिर शुरू कब और कैसे हुई?
प्राचीन मान्यता से जुड़ा है धनतेरस का महत्व
धनतेरस शब्द दो शब्दों से बना है — ‘धन’ यानी समृद्धि और ‘तेरस’ यानी त्रयोदशी, मान्यता है कि इस दिन समुद्र मंथन से भगवान धन्वंतरि प्रकट हुए थे, जो आयुर्वेद और स्वास्थ्य के देवता माने जाते हैं. इसलिए यह दिन धन और स्वास्थ्य दोनों की वृद्धि का प्रतीक है. परंपरागत रूप से लोग इस दिन धन-संपत्ति से जुड़ी वस्तुएं खरीदते हैं, ताकि घर में सुख-समृद्धि बनी रहे.
वाहन खरीदने की परंपरा कब शुरू हुई
पहले के समय में लोग नए बैल, घोड़े, बैलगाड़ी या कृषि उपकरण खरीदते थे, जो उनके जीविकोपार्जन के साधन थे, आधुनिक समय में यही परंपरा नए वाहन खरीदने के रूप में विकसित हो गई. लगभग बीसवीं सदी के उत्तरार्ध से, जब ऑटोमोबाइल आम लोगों की पहुंच में आने लगे, तब से धनतेरस पर वाहन खरीदना शुभ माना जाने लगा, यह नए आरंभ और प्रगति का प्रतीक बन गया.
धार्मिक और ज्योतिषीय कारण
ज्योतिष के अनुसार, धनतेरस का दिन शुभ ग्रह संयोगों से भरा होता है, इस दिन खरीदी गई चीजें दीर्घकाल तक शुभ फल देती हैं. गाड़ी या वाहन को गतिशीलता और सफलता का प्रतीक माना जाता है. इसलिए इस दिन वाहन खरीदने से व्यापार, करियर और जीवन में प्रगति का मार्ग खुलता है.
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