लोक आस्था के महापर्व छठ की तैयारियां शुरू हो चुकी हैं. यह महापर्व चार दिनों तक चलता है, इस महापर्व के हर एक दिन का अपना धार्मिक महत्व है. छठ महापर्व के दौरान छठी मैया और भगवान सूर्य की पूजा की जाती है. छठ महापर्व 2025 इस वर्ष भी बड़े उत्साह के साथ मनाया जा रहा है, यह पर्व विशेष रूप से बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश और नेपाल के कुछ हिस्सों में अत्यधिक श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाया जाता है.
छठ पूजा का महत्व
छठ महापर्व मुख्य रूप से सूर्य देव और छठी मैया की आराधना के लिए मनाया जाता है, इस दौरान व्रती (उपवास रखने वाले लोग) छठी मैया और सूर्य देव से जीवन में सुख, समृद्धि और स्वास्थ्य की कामना करते हैं.
परंपरा और विधि
व्रती चार दिनों तक कठोर नियमों का पालन करते हैं, जिसमें निर्जला व्रत और पवित्र घाट पर अर्घ्य देना शामिल है, पहला दिन नहाय-खाय, दूसरा दिन खरना, तीसरा दिन संध्या अर्घ्य और चौथा दिन उषा अर्घ्य होता है. नदी, तालाब या किसी साफ जल स्रोत के किनारे खड़े होकर सूर्य को अर्घ्य देना इस पर्व की सबसे महत्वपूर्ण परंपरा है.
ऐतिहासिक और धार्मिक कारण
छठ महापर्व का धार्मिक महत्व प्राचीन सूर्य उपासना और प्रकृति पूजा से जुड़ा हुआ है. माना जाता है कि यह पर्व सूर्य देव से ऊर्जा और स्वास्थ्य प्राप्त करने का सर्वोत्तम माध्यम है, इसके अलावा, छठ पूजा परिवार और समाज में एकता और अनुशासन को भी बढ़ावा देती है.
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