पंचांग के अनुसार, कार्तिक माह का आखिरी प्रदोष व्रत आज यानी 3 नवंबर को किया जा रहा है. इस दिन भक्त महादेव संग मां पार्वती की विशेष पूजा-अर्चना करते हैं. साथ ही, व्रत का पालन कर अन्न और धन का दान करते हैं, ऐसा माना जाता है कि इस दिन शाम के समय महादेव की विशेष आराधना करने से वे तुरंत प्रसन्न होते हैं और भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं.
प्रदोष व्रत का महत्व
शास्त्रों के अनुसार, प्रदोष का समय सूर्यास्त के बाद का वह शुभ काल होता है जब भगवान शिव कैलाश पर्वत पर नंदी के साथ नृत्य करते हैं, इसी कारण इस समय की गई आराधना को अत्यंत फलदायी माना गया है. मान्यता है कि इस दिन व्रत रखने और श्रद्धा से आरती करने से पापों का नाश होता है, मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं और जीवन में सुख-शांति का वास होता है.
महादेव की आरती का महत्व
प्रदोष व्रत की संध्या बेला में आरती का विशेष महत्व बताया गया है. आरती से न केवल वातावरण में सकारात्मक ऊर्जा फैलती है, बल्कि मन को शांति और आत्मा को शक्ति भी मिलती है.
आरती के समय जलाएं दीपक और गाएं — “ॐ जय शिव ओंकारा, स्वामी जय शिव ओंकारा, ब्रह्मा, विष्णु, सदाशिव, अर्द्धांगी धारा…” इस आरती के दौरान शिवलिंग पर जल, दूध और बेलपत्र अर्पित करें तथा “ॐ नमः शिवाय” मंत्र का जप करते रहें.
प्रदोष व्रत पर आरती करने के लाभ
पापों से मुक्ति — आरती से आत्मिक शुद्धि होती है और पापों का क्षय होता है.
धन और समृद्धि — महादेव की कृपा से घर में लक्ष्मी का वास होता है.
दांपत्य जीवन में सौहार्द — पति-पत्नी दोनों मिलकर आरती करें तो रिश्ते में मधुरता आती है.
नकारात्मक ऊर्जा का नाश — आरती की लौ से घर में शुद्धता और दिव्यता आती है.
अन्य सुझाव
आरती हमेशा पूर्व दिशा की ओर मुख करके करें, दीपक में शुद्ध घी या तिल का तेल प्रयोग करें, आरती के बाद भगवान शिव को जल और प्रसाद अर्पित करें, आरती समाप्ति पर “हर हर महादेव” का जयघोष अवश्य करें.
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