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Teenagers और Technology : एक्सपर्ट से जानें 7 सावधानियां ?

Teenage Technology

आज का Teenager: सोशल मीडिया, स्मार्टफोन, गेमिंग और स्ट्रीमिंग की दुनिया में डूबा हुआ है. पढ़ाई हो या मनोरंजन, दोस्ती हो या खुद की पहचान. हर पहलू में तकनीक की भूमिका अहम हो गई है . लेकिन सवाल यह है: टेक्नोलॉजी कितनी ज़रूरी है और कब बन जाती है नुकसानदेह?

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डॉ. विनीत बख्शी (वरिष्ठ चाइल्ड साइकोलॉजिस्ट, डिजिटल बिहेवियर एक्सपर्ट – फोर्टिस हेल्थकेयर) कहते हैं,”टीनएजर्स के लिए तकनीक दोधारी तलवार की तरह है . अगर सही गाइडेंस हो तो ये सीखने, जुड़ने और आगे बढ़ने का ज़रिया बनती है . लेकिन अनियंत्रित उपयोग से यह अवसाद, अकेलापन और आक्रोश को जन्म दे सकती है .”

टेक्नोलॉजी के फायदे (यदि सही दिशा में उपयोग हो)

  1. शिक्षा में मदद: ऑनलाइन क्लासेज, रिसर्च, ट्यूटर ऐप्स – ये टीनएजर्स की पढ़ाई को अधिक समृद्ध बनाते हैं .
  2. नए स्किल्स की सीख: कोडिंग, डिजाइनिंग, कंटेंट क्रिएशन जैसी स्किल्स टीनएज में ही सीखी जा सकती हैं .
  3. ग्लोबल एक्सपोजर: दुनिया भर के विचार, संस्कृति और संवादों से जुड़ने का मौका मिलता है . समस्याएं जो अनियंत्रित टेक्नोलॉजी लाती है
  4. स्क्रीन एडिक्शन: गेमिंग, रील्स और सोशल मीडिया के चलते 6–8 घंटे मोबाइल में बिताना अब आम बात हो गई है .
    इससे नींद में कमी, चिड़चिड़ापन और आँखों की समस्या हो सकती है .
  5. मानसिक स्वास्थ्य पर असर: सोशल मीडिया पर ‘लाइक्स’ और ‘फॉलोअर्स’ के चक्कर में आत्म-सम्मान घटता है .
    दूसरों की दिखावटी ज़िंदगी देखकर असंतोष और डिप्रेशन की आशंका बढ़ जाती है .
  6. ऑनलाइन खतरे: साइबरबुलीइंग, फेक प्रोफाइल्स, अश्लील सामग्री तक पहुँच – टीनएजर्स की सुरक्षा पर बड़ा खतरा बन चुकी है . डॉ. विनीत बख्शी (वरिष्ठ चाइल्ड साइकोलॉजिस्ट, डिजिटल बिहेवियर एक्सपर्ट – फोर्टिस हेल्थकेयर) की सलाह: कैसे बनाएं संतुलन?
  7. टेक्नोलॉजी टाइमटेबल बनाएं

पढ़ाई, मनोरंजन और सोशल टाइम के लिए अलग-अलग स्क्रीन टाइम निर्धारित करें .
रोज़ 1–2 घंटे “डिजिटल डिटॉक्स” ज़रूरी है .

  1. पैरेंट्स रहें शामिल, लेकिन नियंत्रक नहीं बच्चों से पूछें – वे क्या देख रहे हैं, किससे बात करते हैं, क्या पसंद करते हैं .
    खुली बातचीत से वे छिपाएंगे नहीं, बल्कि साथ शेयर करेंगे .
  2. सुरक्षित डिजिटल व्यवहार सिखाएं पासवर्ड शेयर न करना, अनजान लिंक पर क्लिक न करना, ट्रोल्स को जवाब न देना – ये सब व्यवहार सिखाएं .
    ऑनलाइन एब्यूज़ को कैसे रिपोर्ट करना है, यह जानकारी दें .
  3. ऑफलाइन एक्टिविटी को बढ़ावा दें आउटडोर गेम्स, आर्ट, म्यूज़िक या कोई हॉबी – जिससे स्क्रीन से ध्यान हटे और दिमाग तरोताज़ा रहे .

Teenagers और Technology साथ-साथ चलेंगे, इसे रोकना न संभव है, न आवश्यक . लेकिन यह ज़रूरी है कि टीनएजर्स तकनीक को इस्तेमाल करें, तकनीक उन्हें नहीं .

डॉ. विनीत बख्शी (वरिष्ठ चाइल्ड साइकोलॉजिस्ट, डिजिटल बिहेवियर एक्सपर्ट – फोर्टिस हेल्थकेयर) का संदेश:
“टेक्नोलॉजी को दुश्मन मानने के बजाय उसे एक साधन मानिए . और याद रखिए – बच्चे स्क्रीन की नहीं, आपके समय और मार्गदर्शन की तलाश में हैं .”

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