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बीमार पत्नी, दिव्यांग बेटी के इलाज के मांगे पैसे तो छीन ली बाइक, पुलिस ने नहीं की मदद

Victim Struggles for Treatment of Seriously Ill Wife and Disabled Daughter

एटा : जनपद के थाना मारहरा क्षेत्र के एक बेहद संवेदनशील और मानवता को झकझोर देने वाला मामला सामने आया है। यहां एक पीड़ित युवक अपनी मेहनत की कमाई और छीनी गई मोटरसाइकिल वापस पाने के लिए दर-दर भटकने को मजबूर है। आप है कि गंभीर रूप से बीमार पत्नी और पैरों से दिव्यांग बेटी के इलाज के लिए जब उसने अपना बकाया वेतन मांगा, तो दबंग संचालक ने न सिर्फ पैसे देने से इनकार कर दिया, बल्कि उसकी मोटरसाइकिल भी जबरन छीन ली। पीड़ित ने अपनी आय की आस में एटा के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक से मुलाकात कर आरोपी के खिलाफ सख्त कानूनी कार्यवाही की मांग की है।

पूर्व कर्मचारी का आरोप : बकाया वेतन नहीं दिया, धमकियां मिली

थाना मारहरा क्षेत्र के मोहल्ला ब्राह्मणपुरी निवासी संजय कुमार का कहना है कि वह पहले मयूर गुप्ता की टीवीएस एजेंसी में सेल्स मैनेजर के पद पर कार्यरत था। एजेंसी बंद होने के बाद भी मयूर गुप्ता ने उसे अपनी आईटीआई कॉलेज में रिसेप्शनिस्ट के रूप में काम पर रखा।

संजय का आरोप है कि कई महीनो का वेतन मिलकर उसका ₹148000 बकाया है। इसी दौरान उसकी पत्नी की दोनों किडनियां खराब हो गई और उसकी बेटी पैरों से दिव्यांग है, इसके इलाज के लिए उसे पैसों की सख्त जरूरत थी।

वेतन मांगने पर छीनी गई मोटरसाइकिल

पीड़ित के मुताबिक जब उसने अपने बकाया वेतन की मांग की तो संचालक मयूर गुप्ता ने नुकसान का हवाला देकर पैसे देने से साफ इनकार कर दिया। इतना ही नहीं, आरोप है कि उसे आईटीआई कॉलेज बुलाकर उसकी टीवीएस स्टार सिटी मोटरसाइकिल (UP 82 Z0851) भी जबरन छीन ली गई। संजय का कहना है कि विरोध करने पर उसे जान से मारने की धमकियां दी गई जिससे वह और उसका परिवार दहशत में है।

पुलिस से की थी शिकायत, नहीं हुई सुनवाई

पीड़ित ने इस मामले की शिकायत पहले थाना मारहरा में की थी, लेकिन आरोप है कि पुलिस ने कोई ठोस कार्यवाही नहीं की। संजय का कहना है कि उसकी मजबूरी और पारिवारिक हालत को नजरअंदाज कर दिया गया, जिससे उसे न्याय के लिए उच्च अधिकारियों के पास जाना पड़ा।

एसपी से मिलकर लगाई न्याय की गुहार

आखिरकार पीड़ित संजय कुमार ने एटा के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक श्याम नारायण सिंह से मुलाकात कर अपनी आपबीती सुनाई और आरोपी संचालक मयूर गुप्ता के खिलाफ कानूनी कार्यवाही करते हुए उसका बकाया वेतन और छीनी गई मोटरसाइकिल वापस दिलाने की मांग की।

अब सवालों के घेरे में प्रशासन

यह मामला न सिर्फ मजदूर और कर्मचारियों के अधिकारों पर सवाल खड़े करता है, बल्कि यह भी दिखता है कि किस तरह एक गरीब और मजदूर परिवार को दबंगई के आगे झुकने पर मजबूर किया जा रहा है। अब देखना यह होगा कि क्या पुलिस प्रशासन इस लाचार पिता और पति को उसका हक दिला पाएगा, या फिर दबंग के हौंसले यूं ही बुलंद रहेंगे।

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