पनियहवा–वाल्मीकिनगर रेल खंड के बीच गंडक नदी पर रेलवे का एक और विशाल पुल बनने जा रहा है. रेलवे प्रशासन ने इस नए पुल की स्वीकृति प्रदान कर दी है और निर्माण संगठन द्वारा टेंडर प्रक्रिया भी शुरू कर दी गई है. टेंडर पूरा होते ही निर्माण कार्य शुरू कर दिया जाएगा, यह पुल गोरखपुर-वाल्मीकिनगर रेल दोहरीकरण परियोजना का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जिसके बन जाने से उत्तर प्रदेश और बिहार के बीच रेल संपर्क और मजबूत होगा.
पांच चरणों में पूरा हो रहा दोहरीकरण कार्य
गोरखपुर कैंट से वाल्मीकिनगर तक रेल दोहरीकरण परियोजना को पाँच चरणों में पूरा किया जा रहा है —
- गोरखपुर कैंट–पिपराइच (16.09 किमी)
- पिपराइच–कप्तानगंज (19.72 किमी)
- कप्तानगंज–सिसवा बाजार (26.16 किमी)
- सिसवा बाजार–पनियहवा (20.87 किमी)
- पनियहवा–वाल्मीकिनगर (13.10 किमी) वर्तमान में पहले चरण का कार्य तेजी से चल रहा है, जिसमें नई रेल लाइन बिछाने, पुल निर्माण और स्टेशन भवनों के विकास का काम शामिल है.
854 मीटर लंबा होगा नया पुल
रेलवे द्वारा जारी निविदा के अनुसार, गंडक नदी पर पुल संख्या 50 के रूप में यह नया रेल पुल 854 मीटर लंबा होगा, इसके निर्माण से ट्रेनों की आवाजाही में सुगमता आएगी और इस रूट पर लाइन क्षमता (Line Capacity) में बड़ी वृद्धि होगी. पूर्वोत्तर रेलवे के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी पंकज कुमार सिंह ने बताया — “गोरखपुर कैंट–वाल्मीकिनगर दोहरीकरण परियोजना के तहत गंडक नदी पर नया पुल बनाया जाएगा, यह पुल लाइन क्षमता बढ़ाने में सहायक होगा, जिससे ट्रेनों की संख्या और गति दोनों में वृद्धि होगी.”
क्षेत्रीय विकास को मिलेगी नई रफ्तार
इस परियोजना के पूरा होने के बाद दिल्ली, मुंबई, अमृतसर जैसे बड़े शहरों से गोरखपुर होते हुए बिहार की ओर नई ट्रेनों का संचालन संभव होगा, इसके साथ ही मालगाड़ियों के आवागमन में भी सुगमता आएगी, जिससे व्यापारिक और औद्योगिक विकास को नई गति मिलेगी. यह परियोजना पूर्वी उत्तर प्रदेश और बिहार के सीमावर्ती क्षेत्रों के परिवहन, पर्यटन और स्थानीय अर्थव्यवस्था के लिए वरदान साबित होगी.
रिपोर्ट- आनन्द सिंह/खड्डा
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