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सरकारी जमीन पर कब्जा: अस्पताल निर्माण में मिलीभगत के आरोप

मुरादाबाद में भू-माफियाओं और सरकारी अधिकारियों की मिलीभगत का चौंकाने वाला मामला सामने आया है, शहर के सिविल लाइन क्षेत्र में करोड़ों रुपये मूल्य की सरकारी नजूल जमीन पर एक निजी डॉक्टर द्वारा तीन मंजिला अस्पताल का निर्माण कर दिया गया. इस मामले में जब मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के पास IGRS पोर्टल पर शिकायत दर्ज की गई, तब जाकर प्रशासनिक अमले में हड़कंप मच गया और डीएम ने तत्काल जांच के आदेश जारी किए।


नजूल लैंड का बड़ा खेल — 17,318 वर्ग मीटर सरकारी जमीन पर अवैध निर्माण

मामला ग्राम छावनी के भूखंड नंबर 470 से जुड़ा है। रिकॉर्ड के अनुसार इस भूखंड में 2,714 वर्ग मीटर जमीन फ्रीहोल्ड है, जबकि बाकी 17,318 वर्ग मीटर नजूल यानी सरकारी भूमि के रूप में दर्ज है. आरोप है कि भू-माफियाओं ने अधिकारियों की मिलीभगत से इस सरकारी जमीन पर कब्जा कर लिया और वहां आलीशान अस्पताल खड़ा कर दिया. एक जागरूक नागरिक द्वारा सीएम को शिकायत भेजे जाने के बाद प्रशासन हरकत में आया और निर्माण कार्य पर रोक लगाई गई.


MDA की भूमिका पर सवाल — अधिकारियों ने आँखें मूंदी या जेबें भरीं?

सबसे बड़ा सवाल उठ रहा है कि मुरादाबाद विकास प्राधिकरण (MDA) के अधिकारियों की नाक के नीचे यह सब कैसे होता रहा? जहां यह अवैध निर्माण हुआ, वह इलाका सिविल लाइन का है—जहां खुद MDA के वरिष्ठ अधिकारी और वीसी रहते हैं.
इसके बावजूद किसी ने भी इस निर्माण को रोकने की कोशिश नहीं की, उल्टा MDA अभियंताओं ने बिना जांच के नक्शा पास कर दिया. नियमों के मुताबिक फ्रीहोल्ड जमीन पर केवल आवासीय निर्माण की अनुमति होती है, लेकिन यहां पूरा अस्पताल बना दिया गया. अब सवाल यह है कि — क्या यह सब पैसे के खेल का हिस्सा था?


डीएम ने दिए जांच के आदेश — लेकिन क्या होगा इंसाफ?

मुख्यमंत्री की शिकायत के बाद जिलाधिकारी ने मामले की जांच शुरू कराई है. स्रोतों के मुताबिक, संबंधित जमीन और निर्माण के दस्तावेज खंगाले जा रहे हैं, ताकि यह पता लगाया जा सके कि किस अधिकारी की अनुमति से अस्पताल का निर्माण हुआ.
हालांकि, मुरादाबाद की जनता अब न्याय और कार्रवाई की उम्मीद लगाए बैठी है. लोगों का कहना है कि इतना बड़ा घोटाला इतने समय तक कैसे छिपा रहा, और क्या भू-माफिया व अधिकारी वास्तव में सजा पाएंगे, या फिर यह मामला भी फाइलों में दबा दिया जाएगा.


स्थानीयों में आक्रोश — “जनता का हक लूटा गया”

स्थानीय निवासियों ने इसे जनता के अधिकारों की खुली लूट बताया है, उनका कहना है कि यह जमीन सरकारी उपयोग और सार्वजनिक सुविधाओं के लिए आरक्षित थी, लेकिन इसे प्रभावशाली लोगों के हित में बेच दिया गया. निवासियों ने मांग की है कि जांच निष्पक्ष हो और दोषियों पर कड़ी कार्रवाई की जाए, ताकि भविष्य में कोई अधिकारी या भू-माफिया इस तरह जनता की संपत्ति पर कब्जा न कर सके.

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