मुरादाबाद: उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद जनपद के बिलारी क्षेत्र में पर्यावरण और जनस्वास्थ्य पर बड़ा खतरा मंडरा रहा है. क्षेत्र के तिसावा, चांदपुर, चांदपुर गणेश और धर्मपुर कला समेत कई गांवों में इन दिनों प्रतिबंधित मछलियों का अवैध कारोबार जोरों पर है, इस गंदे धंधे में मछलियों को खिलाने के लिए सड़ा-गला वेस्टेज मीट (जानवरों का मांस) इस्तेमाल किया जा रहा है, जिससे पूरे इलाके में घातक दुर्गंध और संक्रमण फैलने का खतरा बढ़ गया है.
वेस्टेज मीट से फैल रहा संक्रमण
तालाबों के आसपास वेस्टेज मीट के ढेर लगे हैं, जिनसे उठने वाली बदबू और मक्खियों-मच्छरों का प्रकोप गांववासियों के लिए बड़ी समस्या बन चुका है. स्थानीय लोगों का कहना है कि इस कारण चर्म रोग, खांसी, दमां और त्वचा संक्रमण जैसी बीमारियाँ तेजी से फैल रही हैं, कई ग्रामीण महीनों से इलाज करा रहे हैं, लेकिन उन्हें राहत नहीं मिल पा रही है.
प्रशासन और विभाग की चुप्पी पर उठे सवाल
ग्रामीणों के मुताबिक, इस पूरे मामले की कई बार मत्स्य विभाग और प्रशासन से शिकायत की जा चुकी है, लेकिन अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई. न तो अधिकारी मौके पर पहुंचे और न ही तालाबों को बंद कराने का कोई आदेश दिया गया. प्रशासन की चुप्पी से कारोबारियों के हौसले बुलंद हैं, और अब यह गंदा खेल खुलेआम चल रहा है.
बच्चों और महिलाओं की सेहत पर असर
गांवों के बच्चे और महिलाएं सबसे ज्यादा प्रभावित हो रहे हैं. स्कूल जाने वाले बच्चों को सड़े मांस के ढेर और बदबू से भरे रास्तों से गुजरना पड़ता है, ग्रामीणों का कहना है कि कई बार बच्चे दम घुटने और उल्टी जैसी स्थिति में घर लौटते हैं. यह हालात अब सहन से बाहर हो चुके हैं.
ग्रामीणों की चेतावनी – “अब सड़क पर उतरेंगे”
गांव के लोगों ने प्रशासन को कड़ी चेतावनी दी है कि अगर जल्द ही प्रतिबंधित मछलियों के पालन पर रोक नहीं लगाई गई और वेस्टेज मीट का उपयोग बंद नहीं हुआ, तो वे सड़कों पर उतरकर आंदोलन करेंगे, ग्रामीणों का कहना है कि यह सिर्फ पर्यावरण प्रदूषण का नहीं बल्कि जनस्वास्थ्य की सुरक्षा से जुड़ा गंभीर मामला है.
दूषित हो रहा जलस्रोत
तालाबों के पानी में अब सड़े मांस की गंध और तेलिया परत साफ दिख रही है, आसपास के कुएं और हैंडपंप का पानी भी दूषित हो गया है, जिससे पीने योग्य पानी की भारी समस्या पैदा हो गई है.
जांच और कार्रवाई की मांग
ग्रामीणों ने जिलाधिकारी मुरादाबाद और मत्स्य विभाग के उच्चाधिकारियों से मांग की है कि तुरंत जांच टीम गठित कर अवैध तालाबों को सील किया जाए और जिम्मेदार लोगों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई हो. ग्रामीणों का कहना है, “अगर प्रशासन ने अब भी ध्यान नहीं दिया तो हम खुद तालाबों को पाट देंगे और इस गंदे धंधे को खत्म करेंगे.” यह मामला अब केवल पर्यावरणीय नहीं रहा, बल्कि एक सार्वजनिक स्वास्थ्य आपातकाल में बदलता जा रहा है, जिस पर प्रशासन की त्वरित कार्रवाई जरूरी है.
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