मथुरा : धर्मनगरी मथुरा के गोवर्धन क्षेत्र में अवैध मिट्टी खनन का काला खेल चरम पर है। हालांकि शासन और न्यायालय दोनों ही स्तरों पर सख्त निर्देश मौजूद हैं, लेकिन स्थानीय स्तर पर नियमों की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं। सबसे चिंताजनक बात यह है कि यह अवैध कारोबार पुलिस और तहसील प्रशासन की नाक के नीचे फल-फूल रहा है, जिससे प्रशासनिक निष्पक्षता और ईमानदारी पर गंभीर सवाल खड़े हो रहे हैं।
रात ढलते ही सड़कों पर दौड़ती ‘मौत’
गोवर्धन के राधाकुंड बाईपास, बरसाना रोड, डीग अड्डा और नए बस स्टैंड क्षेत्रों में रात होते ही मिट्टी से लदे डंपर और हाइवा बेकाबू गति से दौड़ने लगते हैं। खेतों में जेसीबी मशीनें खुलेआम मिट्टी की खुदाई करती नजर आती हैं, जबकि दिन के उजाले में ये रास्ते शांत प्रतीत होते हैं। स्थानीय निवासियों के अनुसार, इन भारी वाहनों की गति और संख्या इतनी अधिक है कि परिक्रमा मार्ग और लिंक रोड पर पैदल चलना भी जोखिम भरा हो गया है।
‘कारखासों’ के इशारों पर चलता सिंडिकेट
सूत्रों के मुताबिक, तहसील और थाना स्तर पर तैनात कुछ प्रभावशाली कर्मचारियों द्वारा यह पूरा अवैध खनन नेटवर्क संचालित किया जा रहा है। आम नागरिकों को जहां खनन अनुमति के लिए ऑनलाइन आवेदन और दफ्तरों के चक्कर काटने पड़ते हैं, वहीं माफियाओं को ‘सुविधा शुल्क’ के बदले मौखिक अनुमति मिल जाती है। यह स्थिति बताती है कि तहसील स्तर के कुछ अधिकारी कथित रूप से इस पूरे सिंडिकेट का ‘मौन आशीर्वाद’ बने हुए हैं।
वायरल वीडियो से खुली पोल, कार्रवाई फिर भी ‘शून्य’
हाल ही में सोशल मीडिया पर वायरल एक वीडियो में गोवर्धन क्षेत्र के अलग-अलग हिस्सों में मिट्टी से लदे डंपरों को खुलेआम दौड़ते हुए देखा जा सकता है। वीडियो सामने आने के बावजूद अभी तक किसी ठोस कार्रवाई का न होना प्रशासनिक मिलीभगत के संकेत देता है। यह न केवल पर्यावरणीय क्षरण का कारण बन रहा है, बल्कि सरकार को राजस्व का भारी नुकसान भी झेलना पड़ रहा है।
प्रशासन से कड़ी कार्रवाई की मांग
स्थानीय लोग और सामाजिक संगठन अब जिला प्रशासन से इस अवैध खनन नेटवर्क पर तत्काल लगाम लगाने की मांग कर रहे हैं। सवाल यह है कि क्या प्रशासन ‘खाकी’ और ‘खादी’ के संरक्षण में पल रहे इस माफिया तंत्र को खत्म करने का साहस दिखा पाएगा, या यह मामला भी सिर्फ सोशल मीडिया की खबर बनकर रह जाएगा?
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