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Kushinagar किसान का कमाल, एप्पल जैसा बेर उगाया!

कुशीनगर जनपद के नेबुआ नौरंगिया ब्लॉक के ग्राम सभा सौरहा बुजुर्ग के जौहरी गांव में एक किसान ने अपनी मेहनत, नवाचार और दूरदर्शिता से क्षेत्र के किसानों में नई उम्मीद जगाई है. प्रगतिशील किसान भगवंत गुप्ता ने सात कट्ठा खेत में एप्पल प्रजाति के बेर की खेती कर एक मिसाल कायम की है, इस तरह की खेती करने वाले वह क्षेत्र के पहले और एकमात्र किसान माने जा रहे हैं.

पारंपरिक खेती से बदलाव की ओर कदम
भगवंत गुप्ता अब तक गन्ना, धान, गेहूं, तिलहन और दलहन जैसी पारंपरिक फसलों की खेती करते रहे हैं, लेकिन बढ़ती लागत और कम लाभ के चलते उन्होंने कुछ नया करने का निर्णय लिया. पहाड़ी क्षेत्रों में उन्नत खेती के तरीकों और कृषि से संबंधित पुस्तकों से प्रेरणा लेकर उन्होंने एप्पल किस्म के बेर की खेती शुरू की.

कम लागत, अधिक लाभ की संभावना
किसान भगवंत बताते हैं कि इस विशेष किस्म के बेर का एक फल 80–90 ग्राम का होता है, एक पौधा 8–10 किलो तक फल देने की क्षमता रखता है. वर्तमान में पौधे एक वर्ष के हैं। उन्होंने कहा कि अगले वर्ष वैज्ञानिक विधि से छंटाई की जाएगी, जिससे उत्पादन और बेहतर होगा, छोटे आकार के पौधे होने के कारण इनकी देखभाल भी काफी सरल है.

ग्रामीण किसानों का समर्थन और प्रेरणा
क्षेत्र के किसान हरिहर, श्रीनिवास, संतोष सिंह, नीरज विश्वकर्मा, अनिल कुशवाहा, गोविंद गुप्ता, प्रेम गुप्ता, सुदर्शन बरेठा, रासुचित कुशवाहा, धीरज तिवारी और बलराम कुशवाहा ने इस पहल की सराहना की, उनका कहना है कि पारंपरिक फसलों में लागत अधिक आती है और लाभ सीमित होता है, ऐसे में नई फसलों की ओर कदम बढ़ाना किसानों के लिए बेहतर भविष्य की राह खोल सकता है.

तकनीकी सहायता मिले तो बढ़ेगी उत्पादकता
भगवंत गुप्ता का मानना है कि यदि कृषि विभाग की तरफ से समय-समय पर तकनीकी मार्गदर्शन, प्रशिक्षण और सहायता मिले, तो इस इलाके में एप्पल प्रजाति के बेर की खेती को बड़े स्तर पर बढ़ाया जा सकता है. शुरुआती परिणाम उत्साहजनक हैं और यदि बाजार में अच्छी कीमत मिली तो किसानों को लागत के मुकाबले अच्छा-खासा मुनाफा मिल सकता है.

ग्रामीण क्षेत्र के लिए नई कृषि संभावनाएं
यह नवाचार न केवल जौहरी गांव और आसपास के किसानों के लिए प्रेरणा बन रहा है, बल्कि तराई क्षेत्र में नई कृषि संभावनाओं के द्वार भी खोल रहा है. कम लागत में उच्च उत्पादन की संभावना होने के कारण एप्पल प्रजाति के बेर की खेती आने वाले समय में किसानों के लिए एक मजबूत विकल्प बन सकती है.

रिपोर्ट- आनन्द सिंह/खड्डा

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