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गौ सेवा है सर्वोत्तम सेवा, गाय के लिए किया गया दान माना गया सबसे श्रेष्ठ : मोरारी बापू

मोरारी बापू

बरसाना: बरसाना में चल रही नौ दिवसीय श्रीरामकथा के दूसरे दिन प्रख्यात कथावाचक मोरारी बापू ने गौ सेवा और गौ दान के महत्व पर प्रकाश डाला. उन्होंने कहा कि तीन प्रकार के दान बताए गए हैं—उत्तम, मध्यम और सामान्य. भूमि, स्वर्ण या विद्या का दान श्रेष्ठ माना गया है, लेकिन गाय का दान और गाय के लिए किया गया दान सबसे उत्तम है.

गौ माता का महत्व
बापू ने अथर्ववेद के गौ सूक्त का उल्लेख करते हुए बताया कि गौ माता रुद्रों की मां, वसुओं की पुत्री और आदित्यों की बहन हैं. गाय अमृत का केंद्र और औषधियों का श्रोत है. उन्होंने कहा कि गौ माता के अंगों में लक्ष्मी का वास होता है और उनकी पुकार पर स्वयं परमात्मा अवतार धारण करते हैं.

प्राचीन काल में गाय थी अर्थशास्त्र
मोरारी बापू ने कहा कि गोस्वामी तुलसीदासजी ने मानस में 50 से अधिक बार गौ माता का उल्लेख किया है. प्राचीन काल में गाय ही देश का अर्थशास्त्र थी. उन्होंने कहा कि गाय का वध नहीं होना चाहिए और हर गांव में पांच शालाएं होनी चाहिएं—पाठशाला, व्यायामशाला, धर्मशाला, भोजनशाला और सबसे महत्वपूर्ण गौशाला.

कथा में भाव विभोर हुए श्रोता
बरसाना की पुण्य भूमि की वंदना करते हुए बापू ने कहा कि यह भूमि वरदान से सनी हुई है। कथा के दौरान श्रोता भाव विभोर हो उठे. दूसरे दिन की कथा में कई संत और विद्वान उपस्थित रहे, जिनमें बनारस के जगतगुरु सतुआ महाराज, वृंदावन के कृष्णचंद्र ठाकुरजी, मान मंदिर सेवा संस्थान के कार्यकारी अध्यक्ष राधाकांत शास्त्री और उद्योगपति हरीश एन. सिंघवी शामिल थे.

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Report – Ashwani Kumar Dubey