मथुरा: उत्तर प्रदेश ब्रज तीर्थ विकास परिषद द्वारा वन विभाग के सहयोग से विकसित की जा रही जोधपुर झाल वेटलैंड के बेहतर संचालन और संरक्षण को लेकर वन विभाग के 30 अधिकारियों और कर्मचारियों के लिए दो दिवसीय प्रशिक्षण कार्यशाला का आयोजन किया गया. कार्यशाला के पहले दिन परिषद के सभागार में प्रतिभागियों को तकनीकी प्रशिक्षण प्रदान किया गया.
कार्यक्रम के शुभारंभ अवसर पर ब्रज तीर्थ विकास परिषद के उपाध्यक्ष शैलजाकांत मिश्रा ने कहा कि “ब्रज की पेड़-पौधे, झीलें और वन हमारी जीवंत विरासत हैं, इनका संरक्षण हमारा कर्म भी है और धर्म भी,” उन्होंने बताया कि परिषद द्वारा पुनर्स्थापित जोधपुर झाल वेटलैंड आज प्रवासी पक्षियों के प्रमुख आवास के रूप में विकसित हो रहा है, जहां साइबेरिया तक से पक्षी पहुंच रहे हैं. परिषद और वन विभाग मिलकर इसे और अधिक पक्षी-अनुकूल बनाने की दिशा में सतत प्रयासरत रहेंगे.

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प्रशिक्षण सत्र में बायोडायवर्सिटी रिसर्च एंड डेवलपमेंट सोसाइटी के विशेषज्ञ डॉ. के.पी. सिंह और निधि यादव ने प्रवासी पक्षियों के हेबिटैट, प्रवासी मार्ग, फ्लाइट पैटर्न और फ्लाइट कॉल की प्रक्रियाओं पर विस्तार से जानकारी दी, डॉ. के.पी. सिंह ने पीपीटी प्रस्तुति के माध्यम से पक्षियों के आगमन, प्रवास-चक्र, प्रजनन काल, गर्मियों में प्रस्थान, व्यवहार और प्राकृतिक प्रवृत्तियों पर वैज्ञानिक जानकारी साझा की, ब्रज तीर्थ विकास परिषद के पर्यावरण सलाहकार मुकेश शर्मा ने बताया कि जोधपुर झाल, सेंट्रल एशियन फ्लाईवे का एक महत्वपूर्ण वेटलैंड है.
इसके विकास के लिए दी जा रही तकनीकी ट्रेनिंग भविष्य में महत्वपूर्ण परिणाम देगी, उन्होंने कहा कि कार्यशाला के दूसरे दिन प्रतिभागियों को वेटलैंड पर जाकर प्रवासी पक्षियों की पहचान और वेटलैंड मैनेजमेंट से संबंधित व्यवहारिक प्रशिक्षण दिया जाएगा. कार्यक्रम में ब्रज तीर्थ विकास परिषद के एसीईओ मदन चंद दुबे, वन विभाग के अधिकारी, कर्मचारी और विभिन्न विद्यालयों के शिक्षक मौजूद रहे.
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