वृंदावन/मथुरा: विश्व प्रसिद्ध श्री बांके बिहारी मंदिर के सदियों पुराने तोषखाने को 54 साल बाद खोले जाने के बाद बड़ा विवाद खड़ा हो गया है. खजाने में आभूषणों और संपत्ति के दस्तावेजों की बजाय खाली डिब्बे और संदूकें मिलने से बृजवासियों में भारी रोष फैल गया है.
मुख्यमंत्री से सीबीआई जांच की मांग
इस गंभीर मामले में श्री कृष्ण जन्मभूमि मंदिर केस के मुख्य याचिकाकर्ता दिनेश फलाहारी महाराज ने तत्काल हस्तक्षेप किया, उन्होंने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखकर पूरे प्रकरण की CBI जांच कराने की मांग की है.
अरबों की संपत्ति और कागजात गायब होने का आरोप
दिनेश फलाहारी महाराज ने पत्र में लिखा कि वर्षों से मंदिर में हजारों करोड़ रुपये के हीरे, जवाहरात, आभूषण और चल-अचल संपत्ति दान की गई थी. उन्होंने सवाल उठाया कि भक्तों और राजा-महाराजाओं द्वारा दान की गई संपत्ति, सोना-चांदी और महत्वपूर्ण कागजात आखिर कहाँ गए?
फलाहारी महाराज की CBI जांच में उठाई गई मुख्य बातें
इतने वर्षों तक खजाना क्यों बंद रखा गया?
खजाना खुलने का विरोध करने वाले लोग कौन थे?
संपत्ति कहाँ गई और उस समय के सभी व्यवस्थापकों की संपत्ति की जांच क्यों नहीं की गई?
माफियाओं में मची हलचल
फलाहारी महाराज ने कहा कि यदि CBI जांच शुरू होती है, तो मंदिर की संपत्ति लूटने वाले माफियाओं और अवैध कब्जा करने वालों में हड़कंप मच जाएगा, उन्होंने जोर देकर कहा, “यदि सीबीआई की जांच हो गई तो दूध का दूध, पानी का पानी हो जाएगा.”
दिनेश फलाहारी का संकल्प
दिनेश फलाहारी वही महाराज हैं जिन्होंने तीन साल पहले संकल्प लिया था कि जब तक कृष्ण मंदिर, मथुरा से मस्जिद नहीं हट जाती, तब तक वह अन्न भोजन नहीं करेंगे और नंगे पैर रहेंगे. उनके इस कड़े कदम से अब यह विवाद राष्ट्रीय स्तर पर चर्चा का विषय बन गया है.
रिपोर्ट- सौरभ शर्मा
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