नई दिल्ली/सीमापुरी: राजधानी दिल्ली में महिला सुरक्षा और बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ जैसी सरकारी योजनाओं के बीच बेटियों को लेकर भेदभाव और घरेलू हिंसा की घटनाएँ रुकने का नाम नहीं ले रही हैं। सीमापुरी क्षेत्र से एक बेहद शर्मसार करने वाला मामला सामने आया है जहाँ एक महिला को सिर्फ इसलिए प्रताड़ित कर घर से निकाल दिया गया क्योंकि उसने बेटी को जन्म दिया था। मामला न्यू सीमापुरी का है, जहां रहने वाली शिवानी ने अपने पति प्रशांत और ससुराल पक्ष पर गंभीर आरोप लगाते हुए न्याय की गुहार लगाई है। पार्टनर की Love भाषा समझना मुश्किल? ये 3 Tips कर देंगे आसान
पीड़िता शिवानी के अनुसार, उसके पति प्रशांत, सास और अन्य परिजन बेटी के जन्म के बाद से उसे निरंतर मानसिक और शारीरिक रूप से परेशान कर रहे थे। शादी के बाद शुरुआती कुछ महीने सब ठीक रहा, लेकिन पहली बेटी के जन्म के बाद उसका जीवन नरक बन गया। शिवानी का कहना है कि ससुराल पक्ष बेटे की मांग करता था और बेटी पैदा होने पर आए दिन ताने, गाली-गलौज और मारपीट की घटनाएँ होती थीं। स्थिति तब और भयावह हो गई जब उसके रिश्तेदार सुजीत ने उसकी बेटी को तकिया लगाकर मारने की कोशिश की।
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पीड़िता बताती है कि यह घटना उसके पति की मौजूदगी में हुई, लेकिन पति न तो उसे रोकने सामने आए और न ही बच्ची को बचाने की कोशिश की। उसके अनुसार यह पहली बार नहीं था, बल्कि पहले भी दो बार बच्ची को इसी तरह नुकसान पहुँचाने की कोशिश की गई। जब वह इसका विरोध करती, तो उसे बेरहमी से पीटा जाता और जान से मारने की धमकी दी जाती थी। अत्याचार की हद तब पार हो गई जब कुछ दिनों पहले उसे घर से निकाल दिया गया और दरवाज़े बंद कर दिए गए।
अब शिवानी अपनी मासूम बेटियों के साथ दर-दर भटकने को मजबूर है। उसने बताया कि उसने कई बार परिवार में शांति और समझौते की कोशिश की, लेकिन हर बार उसे अपमानित किया गया। शिवानी का कहना है कि बेटियों के भविष्य और सुरक्षा को देखते हुए उसने पुलिस प्रशासन से मदद की गुहार लगाई है।
स्थानीय लोगों का कहना है कि आरोपी पक्ष को कड़ी सजा मिलनी चाहिए ताकि भविष्य में कोई भी परिवार बेटियों को लेकर ऐसा अपराध करने की हिम्मत न करे। लोगों ने यह भी कहा कि जब सरकार बेटियों के सम्मान और सुरक्षा के लिए नीतियाँ चला रही है, तो इस तरह की घटनाएँ समाज पर बड़ा सवाल खड़ा करती हैं।
जब इस मामले में बीट अधिकारी अमित से सहारा समय ने बात की तो उन्होंने बताया, “हम अभी मामले की जाँच कर रहे हैं। जाँच पूरी होने के बाद उचित कार्रवाई की जाएगी।” हालांकि अधिकारी मीडिया के सामने अधिक बोलने से बचते नजर आए, जिससे पीड़िता और स्थानीय लोगों में पुलिस की गंभीरता को लेकर सवाल खड़े हो रहे हैं।
फिलहाल मामला पुलिस के संज्ञान में आ चुका है और आगे की कार्रवाई की प्रतीक्षा की जा रही है। समाज के लिए यह घटना एक बड़ा संदेश है कि बेटी होने पर भेदभाव और हिंसा जैसे अपराध बिल्कुल स्वीकार्य नहीं हैं। पीड़िता ने उम्मीद जताई है कि उसे न्याय मिलेगा और उसकी बच्चियों की सुरक्षा सुनिश्चित की जाएगी।
रिपोर्ट-फारूक


























