कुशीनगर बौद्ध भिक्षु संघ के संस्थापक अध्यक्ष और बौद्ध धर्म के प्रमुख धर्मगुरुओं में से एक अग्ग महापंडित भदंत ज्ञानेश्वर महास्थवीर का लखनऊ के मेदांता हॉस्पिटल में निधन हो गया. वे लंबे समय से बीमार चल रहे थे, उनके निधन की खबर से देश-विदेश में बौद्ध अनुयायियों में गहरा शोक व्याप्त है.
1936 में म्यांमार में हुआ जन्म, 1963 में आए भारत
भदंत ज्ञानेश्वर का जन्म सन् 1936 में वर्मा (वर्तमान म्यांमार) में हुआ था. सन् 1963 में वे भारत आए, जहां उन्होंने भगवान बुद्ध की महापरिनिर्वाण स्थली कुशीनगर में सबसे पहले वर्मा बुद्ध मंदिर की स्थापना की, उन्होंने जीवन भर बुद्ध की शिक्षाओं और करुणा के संदेश को फैलाने में अपना जीवन समर्पित कर दिया.
1977 में बने भारतीय नागरिक, कुशीनगर को बनाया आध्यात्मिक केंद्र
भदंत ज्ञानेश्वर ने सन् 1977 में भारतीय नागरिकता ग्रहण की और तब से वे कुशीनगर में रहकर बौद्ध धर्म के प्रचार-प्रसार में सक्रिय रहे, उनके प्रयासों से कुशीनगर में बौद्ध तीर्थों का विस्तार हुआ और यह विश्व स्तर पर श्रद्धा का केंद्र बना. उन्होंने वर्मीज पैगोडा (Burma Pagoda) का निर्माण कराया, जो आज अंतरराष्ट्रीय पर्यटकों और श्रद्धालुओं के आकर्षण का प्रमुख केंद्र है.
म्यांमार सरकार ने दिया था सर्वोच्च सम्मान
बौद्ध धर्म में उनके योगदान को देखते हुए म्यांमार सरकार ने 2021 में उन्हें अपने सर्वोच्च नागरिक सम्मान “अभिध्वजा महारथा गुरु” से सम्मानित किया था. यह सम्मान केवल उन भिक्षुओं को दिया जाता है, जिन्होंने धर्म, समाज और मानवता के उत्थान में असाधारण योगदान दिया हो.
बौद्ध जगत में शोक की लहर
भदंत ज्ञानेश्वर के निधन से कुशीनगर सहित पूरा बौद्ध समुदाय गहरे शोक में है, उनके देश-विदेश में हजारों शिष्य हैं, जो उन्हें अपने आध्यात्मिक गुरु के रूप में पूजते थे. राजनीतिक, सामाजिक और धार्मिक नेताओं ने उनके निधन पर शोक व्यक्त किया है. उनका पार्थिव शरीर कुशीनगर स्थित म्यांमार मंदिर लाया जाएगा, जहां श्रद्धालुओं के दर्शन के लिए रखा जाएगा.
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