कुशीनगर : जिला कृषि अधिकारी कुशीनगर डॉ. मेनका सिंह ने बताया कि जनपद तराई क्षेत्र होने के कारण शीतलहर एवं घने कोहरे से प्रभावित रहता है। वर्तमान मौसम परिस्थितियों में शीतलहर व घने कोहरे के कारण जनपद के अधिकांश क्षेत्रों में सरसों, आलू, मटर, गेहूं, मसूर आदि रबी फसलों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ने की संभावना है। इस प्रभाव को कम करने हेतु कृषि वैज्ञानिकों द्वारा विभिन्न आवश्यक सुझाव एवं उपाय अपनाने की सलाह दी गई है।
कोहरे से रहें सतर्क
जनपद के तराई क्षेत्रों में घने कोहरे की संभावना जताई गई है, जबकि अन्य क्षेत्रों में प्रातःकाल हल्का से मध्यम कोहरा छाया रह सकता है। ऐसी स्थिति में किसानों को अपनी फसलों की नियमित निगरानी बढ़ा देनी चाहिए, क्योंकि बदलता तापमान एवं कोहरा फसलों में कीट व रोगों के प्रकोप को बढ़ावा देता है।
25 दिसम्बर तक करें गेहूं की बुवाई
उन्होंने बताया कि जिन किसानों द्वारा अभी तक गेहूं की बुवाई नहीं की गई है, वे 25 दिसम्बर तक अवश्य बुवाई कर लें। कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार विलंब से बुवाई के लिए उन्नत किस्में HD-3298, DBW-316, PBW-757 उपयुक्त हैं। देर से बुवाई की स्थिति में खेत में पौध संख्या संतुलित रखने हेतु बीज की मात्रा सामान्य से लगभग 25 प्रतिशत अधिक रखें।
जो किसान गेहूं की बुवाई कर चुके हैं, वे बुवाई के 20–25 दिन बाद (ताजमूल अवस्था) पहली हल्की सिंचाई अवश्य करें। यदि पत्तियों में जिंक की कमी (पीलापन) दिखाई दे, तो 5 किलोग्राम जिंक सल्फेट एवं 16 किलोग्राम यूरिया को 800 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करें।
सरसों में विरलीकरण एवं मक्का में सिंचाई पर ध्यान दें
तिलहनी फसलों में राई एवं सरसों की फसल यदि अधिक घनी हो, तो विरलीकरण अवश्य करें। पौधे से पौधे की दूरी 25–30 सेंटीमीटर रखें, जिससे पौधों को उचित बढ़वार का अवसर मिले। यदि सरसों की फसल में पत्ती सुरंगक कीट का प्रकोप दिखाई दे, तो डाइमेथोएट 30 प्रतिशत ई.सी. का छिड़काव करें।
रबी मक्का की खेती करने वाले किसान बुवाई के 25–30 दिन बाद पहली सिंचाई करें तथा 20–25 दिन बाद निराई-गुड़ाई कर खेत को खरपतवार मुक्त रखें, जिससे पोषक तत्व एवं नमी सीधे फसल को मिल सके।
मटर, मसूर एवं चना फसलों का संरक्षण
दलहनी फसलों जैसे चना, मटर एवं मसूर की खेती करने वाले किसानों के लिए यह समय अत्यंत संवेदनशील है। जो किसान अभी चने की बुवाई कर रहे हैं, वे GNG-2299 या अटल किस्मों का चयन करें।
जो फसलें पहले से खेत में खड़ी हैं, उनमें निराई-गुड़ाई कर खरपतवार तुरंत निकाल दें।
चना फसल में इस समय कटुआ कीट का प्रकोप हो सकता है। इसके नियंत्रण हेतु देशी उपाय के रूप में खेत में स्थान-स्थान पर सूखी घास के छोटे ढेर रखें, जिनमें कीट दिन में छिप जाते हैं। सुबह इन्हें एकत्र कर नष्ट कर दें। अधिक प्रकोप की स्थिति में क्लोरपाइरीफॉस 30 प्रतिशत ई.सी. का छिड़काव करें।
सरसों में रोग एवं कीट प्रबंधन
सरसों की फसल में इस समय कीट एवं रोगों का खतरा बढ़ गया है। ठंड एवं कोहरे के कारण दिसंबर माह में व्हाइट रस्ट (सफेद रतुआ) रोग की संभावना अधिक रहती है। इसके लक्षण दिखाई देने पर 600–800 ग्राम मैनकोजेब को 250–300 लीटर पानी में घोलकर प्रति एकड़ की दर से छिड़काव करें। यह छिड़काव 15 दिन के अंतराल पर 2 से 3 बार करने की सलाह दी गई है।
जिला कृषि अधिकारी ने जनपद के समस्त किसान बंधुओं से अपील की है कि वे मौसम को ध्यान में रखते हुए कृषि कार्य करें, समय-समय पर फसलों की निगरानी रखें तथा किसी भी समस्या की स्थिति में नजदीकी कृषि विभाग अथवा कृषि विशेषज्ञों से संपर्क कर उचित सलाह प्राप्त करें।
रिपोर्ट- आनन्द सिंह/खड्डा
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