कानपुर. कानपुर के मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) डॉ. हरिदत्त नेमी को उत्तर प्रदेश सरकार ने गुरुवार को निलंबित कर दिया है. यह कार्रवाई डीएम जितेन्द्र प्रताप सिंह के साथ लंबे समय से चल रहे विवाद और स्वास्थ्य विभाग में सामने आई अव्यवस्था के आरोपों के बाद की गई है. सरकार के इस फैसले से जिले में स्वास्थ्य प्रशासन को लेकर चर्चाएं तेज़ हो गई है.
फरवरी 2025 में डीएम ने सीएमओ कार्यालय का निरीक्षण किया था, जिसमें डॉ. नेमी समेत कई अधिकारी अनुपस्थित पाए गए थे. इसके बाद शहर के विभिन्न स्वास्थ्य केंद्रों पर हुई जांच में भी कई कमियां पाई गई. डीएम ने इन अव्यवस्थाओं की रिपोर्ट राज्य सरकार को भेजी थी और डॉ. नेमी के ट्रांसफर की बात की थी. हाल ही में एक बैठक के दौरान डॉ. नेमी ने आरोप लगाया कि डीएम ने उन्हें सार्वजनिक रूप से अपमानित किया और ऑडियो लीक की एफआईआर दर्ज कराने का निर्देश दिया.
बीते सप्ताह एक वीडियो वायरल हुआ, जिसमें डॉ. नेमी ने दावा किया कि उन पर जेएम फार्मा नामक कंपनी को भुगतान करने का दबाव बनाया गया था. यह कंपनी राष्ट्रीय शहरी स्वास्थ्य मिशन के तहत 1.60 करोड़ रुपये की दवाएं और मेडिकल सामग्री सप्लाई कर रही थी, जिसमें से 1.30 करोड़ की सामग्री घटिया पाई गई थी. डॉ. नेमी ने इसकी शिकायत डीएम और मंडलायुक्त से भी की थी, लेकिन कंपनी को फिर भी एक्सटेंशन दे दिया गया. इस विवाद ने राजनीतिक रंग भी ले लिया. कुछ जनप्रतिनिधियों ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखकर डॉ. नेमी का समर्थन किया, जबकि अन्य ने उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की. सोशल मीडिया पर भी दोनों पक्षों के समर्थकों के बीच बहस छिड़ गई.
गुरुवार को राज्य सरकार ने डॉ. हरिदत्त नेमी को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया. उनकी जगह श्रावस्ती के एसीएमओ डॉ. उदयनाथ को नया सीएमओ नियुक्त किया गया है. हालांकि, सरकार की ओर से निलंबन के स्पष्ट कारणों का खुलासा नहीं किया गया है, लेकिन सूत्रों के अनुसार यह कार्रवाई स्वास्थ्य विभाग में पाई गई आअवस्थाओं और लगातार बढ़ते विवाद के चलते की गई है.
इस निलंबन के बाद कानपुर में स्वास्थ्य प्रशासन को लेकर कई सवाल खड़े हो रहे हैं. अब सभी की निगाहें राज्य सरकार की अगली कार्रवाई और जांच रिपोर्ट पर टिकी हैं.
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