पटना : सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए पहले अंतरिम आदेश को विपक्षी नेताओं ने लोकतंत्र, संविधान और बिहार के लोगों की जीत करार दिया है. बयान में कहा गया, “बिहार लोकतंत्र की जन्मस्थली है. बिहार ने विश्व को लोकतंत्र दिया है और दो लोग मिलकर बिहार से ही लोकतंत्र को खत्म करने की शुरुआत करना चाह रहे थे.”
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नेता ने कहा कि 25 जून को SIR को लेकर चुनाव आयोग का नोटिफिकेशन जारी हुआ था और 27 जून को उन्होंने प्रेस कॉन्फ़्रेंस कर आयोग की जल्दबाज़ी, अपारदर्शिता, मंशा, सीमित समय-सीमा और संभावित खतरे को सार्वजनिक किया. इसके बाद, सूत्रों के हवाले से घुसपैठियों से संबंधित खबरें प्लांट कराई गईं और उन पर व्यक्तिगत हमले हुए.
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विपक्षी दलों की ओर से दिल्ली और पटना में चुनाव आयोग से मुलाकात की गई, लेकिन रवैया “सकारात्मक, सृजनात्मक और सहयोगात्मक” नहीं रहा. 9 जुलाई को सफल बिहार बंद हुआ, विधानसभा और संसद में मुद्दा उठा, सभी विपक्षी नेताओं को पत्र लिखकर समर्थन मांगा गया और 300 से अधिक सांसदों ने दिल्ली में पैदल मार्च किया, जिन्हें घंटों हिरासत में रखा गया.
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बयान में कांग्रेस, समाजवादी पार्टी, तृणमूल कांग्रेस, डीएमके, शिवसेना, एनसीपी, सीपीआई-एमएल, सीपीएम, सीपीआई, जेएमएम समेत सभी विपक्षी दलों और नेताओं का नाम लेकर धन्यवाद दिया गया. साथ ही ADR, सिविल सोसाइटी, योगेंद्र यादव और उनकी टीम, तथा अधिवक्ताओं के योगदान की सराहना की गई.
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नेता ने कहा, “हमारी एक-एक गतिविधि पर पैनी नजर है. कौन अधिकारी कहाँ, कैसे, क्यों और किसके इशारे पर क्या कर रहा है, सब हमारे संज्ञान में है. हमारी पार्टी अब लाठी ही नहीं, बल्कि लैपटॉप, AI, डेटा माइनिंग और डेटा एनालिसिस पर भी बेहतर तरीके से काम करती है. अगर गड़बड़ी होगी तो पोल खोलते रहेंगे.”
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