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Sheohar : अब बंदूक नहीं… स्वरोजगार की पाठशाला!

शिवहर : कभी नक्सल प्रभावित क्षेत्र के रूप में बदनाम रहा डुमरी कटसरी प्रखंड आज विकास और आत्मनिर्भरता की नई कहानी लिख रहा है. जहां एक समय में लैंड माइंस और नक्सली हमलों से दहशत फैली रहती थी, अब वहां महिलाएं और युवा रोजगार के क्षेत्र में नई मिसाल कायम कर रहे हैं.

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करीब 1 लाख 8 हजार 593 की आबादी वाले इस क्षेत्र में कभी मुखिया और पुलिसकर्मियों तक की हत्याएं आम बात थीं. अधिकारी भी यहां कदम रखने से हिचकते थे. पर बीते पांच वर्षों में शिक्षा, सरकारी योजनाओं, स्वयं सहायता समूहों और बैंकों की मदद से यह इलाका आत्मनिर्भरता की राह पर आगे बढ़ चला है.

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इस बदलाव की शुरुआत सामाजिक कार्यकर्ता मंटू कुमार सिंह के प्रयासों से हुई. इलाके में किसी बैंक की शाखा नहीं थी, लेकिन उन्होंने पहल की और केनरा बैंक ने श्यामपुर गांव में शाखा खोलने की हिम्मत दिखाई. इसके बाद जीविका समूहों और अन्य स्वयं सहायता समूहों का गठन शुरू हुआ.

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आज यहां 600 से अधिक समूहों को सिर्फ केनरा बैंक द्वारा ऋण मुहैया कराया गया है. हाल में ही एक सप्ताह में डेढ़ करोड़ रुपये का ऋण शिविर लगाकर वितरित किया गया. इससे महिलाओं और युवाओं को स्वरोजगार के भरपूर अवसर मिले.

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गुड़िया देवी ने चार साल पहले किराना दुकान शुरू की और आज हर महीने 10 हजार रुपये तक कमाती हैं. तब्बशुम आरा 20 महिलाओं के साथ मिलकर लहठी उद्योग चला रही हैं. चंदा देवी गाय पालन से हर महीने 18 हजार रुपये की आमदनी कर रही हैं.

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बैंक शाखा प्रबंधक प्रकाश ने बताया कि जीविका समूहों और अन्य संगठनों को लगातार ऋण उपलब्ध कराया जा रहा है, जिससे क्षेत्र में आर्थिक आत्मनिर्भरता बढ़ी है. शाखा प्रबंधक को इस कार्य के लिए कई बार सम्मानित भी किया जा चुका है.

इलाके के मुखिया प्रकाश कुमार उर्फ गोलू ने बताया कि इस परिवर्तन में शिक्षा की भूमिका सबसे अहम रही है. अब प्रखंड में प्राथमिक, मध्य और उच्च विद्यालयों समेत आठ से अधिक शिक्षण संस्थान हैं. कन्या उत्थान योजना जैसी पहल लड़कियों की उच्च शिक्षा को आसान बना रही हैं.

डुमरी कटसरी प्रखंड की यह कहानी बताती है कि जहां कभी खौफ और हिंसा का बोलबाला था, वहां अब आत्मनिर्भरता, शिक्षा और रोजगार के रंग बिखर रहे हैं.

शिवहर से अजय मिलन की रिपोर्ट…

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