भोजपुर ज़िले के बड़हरा प्रखंड के रामपुर गांव में जन्मे अशोक कुमार सिंह उर्फ़ रामबाबू सिंह ने राजनीति को सत्ता की सीढ़ी नहीं, बल्कि सेवा का रास्ता माना। पिता स्व. जनार्दन प्रसाद सिंह एक सम्मानित शिक्षक थे, और परिवार में जनसेवा की परंपरा रही है।

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इतिहास ऑनर्स से स्नातक और बिहार सरकार में नंबर-वन संवेदक के रूप में कार्यरत रामबाबू सिंह ने अपना पूरा जीवन बड़हरा विधानसभा की जनता के बीच रहकर उनके सुख-दुख में साझेदारी करने में समर्पित किया है। वे राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के राज्य परिषद सदस्य और संगठन के कई फ्रंटल विंग में सक्रिय योगदानकर्ता हैं।

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जनता के सच्चे प्रतिनिधि
रामबाबू सिंह हमेशा ज़मीन से जुड़े मुद्दों पर संघर्ष करते रहे हैं — चाहे बाढ़ पीड़ितों के बीच राहत सामग्री पहुंचाना हो, बेरोज़गार युवाओं के लिए रोज़गार अभियान चलाना, या दलित-गरीब बस्तियों में शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाएं पहुंचाना। उनके नेतृत्व में भोजपुर में “राजद सबका है” का संदेश घर-घर तक पहुंचा।

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संघर्ष और सेवा की मिसाल
- हर साल लालू प्रसाद यादव का जन्मदिन दलित बस्तियों में मना कर शिक्षा सामग्री और अंगवस्त्र का वितरण।
- 1600 गाड़ियों के काफिले के साथ बापू सभागार, पटना में युवा संवाद का आयोजन — भोजपुर में पहली बार इतनी बड़ी युवा भागीदारी।
- बाढ़, बिजली, पानी, सड़क और स्कूलों की समस्याओं पर लगातार संघर्ष।
- हर संकट में सबसे पहले पीड़ित जनता के बीच पहुंचना।

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जनाधार और लोकप्रियता
रामबाबू सिंह को बड़हरा और आसपास के गांवों में हर जाति, वर्ग और समुदाय का समर्थन प्राप्त है। खवासपुर, वीरमपुर, नारायणपुर, सरैयां जैसे इलाकों में वे जनता के सबसे भरोसेमंद नेता माने जाते हैं।
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उनके शब्दों में:
“हम सत्ता के लिए नहीं, समाज परिवर्तन के लिए राजनीति में हैं। जनता ही मेरी ताक़त है, और सेवा ही मेरा संकल्प।”
बड़हरा की राजनीति में रामबाबू सिंह आज एक ऐसा चेहरा हैं, जो न केवल राजद के सच्चे सिपाही हैं, बल्कि गांव-गांव में उम्मीद और विश्वास का दूसरा नाम बन चुके हैं।
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