भारतीय वायुसेना में 20 साल की गौरवशाली सेवा और कारगिल मोर्चे पर बहादुरी दिखाने वाले चंद्रप्रकाश सिंह (आनंद) अब राजनीति की राह पर हैं। बरौनी के बेटे ने सेना में रहकर देश की रक्षा की, तो रिटायरमेंट के बाद गांव-गांव में विकास और शिक्षा की अलख जगाई। अब 2025 में तेघड़ा विधानसभा से वे जनसेवा को एक नए मुकाम तक ले जाने के लिए तैयार हैं।


बेगूसराय जिले के तेघड़ा विधानसभा क्षेत्र से 2025 के चुनावी रण में एक नया नाम तेजी से चर्चा में है—चंद्रप्रकाश सिंह (आनंद)। भारतीय वायुसेना के सीनियर नॉन-कमीशंड ऑफिसर के रूप में 20 वर्षों की गौरवशाली सेवा करने वाले और कारगिल युद्ध में अपनी बहादुरी का परिचय देने वाले सिंह अब राजनीति के मैदान में उतर रहे हैं। उनका लक्ष्य है—तेघड़ा को शिक्षा, रोजगार और बुनियादी सुविधाओं के मामले में एक आदर्श क्षेत्र बनाना।
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बरौनी के बेटे की यात्रा — सेना से समाज तक
20 दिसंबर 1968 को बरौनी ब्लॉक नंबर-2 में जन्मे चंद्रप्रकाश सिंह ने बीएससी, बैचलर ऑफ इंजीनियरिंग और एलएलबी की पढ़ाई पूरी करने के बाद भारतीय वायुसेना में भर्ती होकर देश की सेवा की। अपने कार्यकाल में वे कई महत्वपूर्ण अभियानों में शामिल रहे, जिसमें कारगिल युद्ध भी शामिल है। सेना में रहते हुए उन्हें “बेस्ट इन रेंज फायरिंग अवार्ड” से सम्मानित किया गया।

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सेवा के दौरान उन्होंने बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में एयरफोर्स के जहाज से राहत सामग्री पहुंचाई और जरूरतमंदों को भोजन, कपड़े और दवाइयां वितरित कीं। एनसीसी इंस्ट्रक्टर के रूप में उन्होंने आर्मी, नेवी और एयरफोर्स—तीनों विंग के कैडेट्स को प्रशिक्षित किया और हर आयोजन को सफलतापूर्वक अंजाम दिया।

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सेवानिवृत्ति के बाद जनसेवा की नई पारी
सेना से रिटायर होने के बाद भी उनका जुनून थमा नहीं। उन्होंने सामाजिक कार्यों के जरिए लोगों की जिंदगी में बदलाव लाने की ठानी। बरौनी गांव में रेलवे लाइन के ऊपर विद्युत कनेक्शन के मुद्दे पर उन्होंने 10,000 नागरिकों का समर्थन जुटाकर तत्कालीन रेल मंत्री नीतीश कुमार से मुलाकात की और समस्या का समाधान कराया, जिससे 20,000 से अधिक लोगों को राहत मिली।

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उन्होंने गया जिले के डोभी गांव को गोद लेकर शिक्षा, बुनियादी ढांचा और सामाजिक विकास के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य किया। 2017 से लगातार वे जिला स्तरीय मेधा प्रतियोगिता का आयोजन कर रहे हैं, जिसमें विजेताओं को मोटरसाइकिल, लैपटॉप, मोबाइल और छात्रवृत्ति जैसे बड़े इनाम दिए जाते हैं।

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शिक्षा और सामाजिक उत्थान पर फोकस
चंद्रप्रकाश सिंह ने तेघड़ा प्रखंड के पिछड़े इलाकों जैसे हरिहरपुर, मरसैती और मुसहरी गांव में पौधारोपण और शिक्षा का हब बनाने की दिशा में कार्य किया। उनका कहना है कि शिक्षा ही पलायन रोकने का सबसे बड़ा हथियार है। वे तेघड़ा को “मॉडल विधानसभा” बनाने का सपना देखते हैं, जहां हर गांव में शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार के अवसर उपलब्ध हों।

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राजनीतिक पारी की तैयारी
2025 के विधानसभा चुनाव में वे तेघड़ा से प्रत्याशी के रूप में मैदान में उतर रहे हैं। उनका दावा है कि सेना की अनुशासन, विकास की सोच और जनता की भलाई के जज्बे के साथ वे राजनीति में एक नई कार्यशैली लेकर आएंगे। उनका मानना है कि सेवा केवल वर्दी में ही नहीं, बल्कि जनता के बीच रहकर भी की जा सकती है।

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तेघड़ा में अब मुकाबला दिलचस्प होने वाला है। कारगिल के मोर्चे से लेकर शिक्षा के मैदान तक सक्रिय चंद्रप्रकाश सिंह के सामने चुनौती बड़ी है, लेकिन वे कहते हैं—
“मेरा जीवन देश और समाज के लिए समर्पित रहा है, और यह यात्रा अब विधानसभा में लोगों की आवाज बनकर जारी रहेगी।”
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