साहेबगंज : संथाल परगना का ऐतिहासिक द्वार, साहेबगंज झारखंड राज्य के उत्तर-पूर्वी कोने में स्थित एक प्राकृतिक, ऐतिहासिक और सामरिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण जिला है। यह जिला गंगा नदी के किनारे स्थित है और यहाँ संथाली संस्कृति, ऐतिहासिक स्थलों तथा वन एवं खनिज संसाधनों की भरमार है। यह संथाल विद्रोह की भूमि भी रहा है और भारत-बांग्लादेश सीमा के निकट अपनी विशेष भौगोलिक स्थिति के कारण चर्चा में रहता है।
यह जिला संथाल परगना प्रमंडल में 2 अनुमंडलों साहेबगंज और राजमहल के साथ पश्चिम में पश्चिम बंगाल से सटा है
स्थिति:
झारखंड के उत्तर-पूर्वी छोर पर स्थित
मुख्यालय: साहेबगंज नगर
संथाल परगना प्रमंडल में शामिल
सीमाएं:
उत्तर: गंगा नदी के पार – बिहार का कटिहार व भागलपुर
दक्षिण: पाकुड़ और दुमका
पूर्व: पश्चिम बंगाल (उत्तर दिनाजपुर)
पश्चिम: गोड्डा जिला
क्षेत्रफल: 2,063 वर्ग किमी
जनसंख्या (2011): 11,50,567
(पुरुष: 5,95,305; महिलाएँ: 5,55,262)
जनसंख्या घनत्व: 558 व्यक्ति/वर्ग किमी
लिंगानुपात: 933
साक्षरता दर: 52.04% (पुरुष: 60.32%, महिला: 43.15%)
राजनीतिक संरचना:
लोकसभा क्षेत्र: राजमहल (अनुसूचित जनजाति हेतु आरक्षित)
विधानसभा क्षेत्र: कुल 3 विधानसभा क्षेत्र
- राजमहल (ST)
- बरहेट (ST)
- बोरियो (ST)
जातीय अनुपात (अनुमानित):
जनजातीय जनसंख्या: लगभग 47-50% (मुख्यतः संथाल)
पिछड़ा वर्ग (OBC): लगभग 25-30%
दलित (SC): लगभग 6-8%
अन्य (सवर्ण, मुस्लिम आदि): लगभग 15-20%
(इनमें मुस्लिम आबादी प्रमुख रूप से राजमहल शहर, साहेबगंज नगर व बरहरवा क्षेत्र में)
प्रमुख भाषाएँ:
हिंदी, संथाली, अंगिका, बंगला, उर्दू, अंग्रेज़ी
प्रमुख फसलें:
धान, मक्का, तिलहन, दालें, सब्जियाँ
प्रमुख नदियाँ:
गंगा
बरहरवा, बंसी, गुमानी
प्रमुख खनिज:
पत्थर (स्टोन चिप्स): राजमहल की पहाड़ियों से
कोयला (सीमित क्षेत्रों में)
बालू
औद्योगिक/विकास परियोजनाएँ:
गंगा जलमार्ग टर्मिनल (Multi-Modal Terminal, Sahibganj): भारत का प्रमुख जल परिवहन केंद्र, जिसे “राष्ट्रीय जलमार्ग-1” के तहत विकसित किया गया है
पत्थर क्रशिंग इकाइयाँ
सीमित कुटीर उद्योग (जैसे बांस शिल्प, हथकरघा)
पर्यटन स्थल:
राजमहल की पहाड़ियाँ: प्राचीन भूगर्भिक महत्व, डिनोसॉर जीवाश्म के अवशेष पाए गए
मोती झील: प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर स्थल
भगनाडीह गाँव: सिद्धो-कान्हू की जन्मस्थली (संथाल विद्रोह के नायक)
फूलडूंगरी: गंगा नदी के किनारे का रमणीय स्थल
बरहेट का सिद्धो-कान्हू पार्क
हिमालयन व्यू पॉइंट: साफ मौसम में नेपाल और बिहार की पर्वत श्रृंखलाएँ दिखाई देती हैं
शिक्षा:
Sahibganj College, Mahila College
राजकीय पॉलीटेक्निक संस्थान
कस्तूरबा विद्यालय, नवोदय विद्यालय
संथाल एकेडमिक स्कूल, मॉडर्न स्कूल
शिक्षा क्षेत्र में अब भी व्यापक विकास की आवश्यकता है
संस्कृति व विरासत:
गहरी संथाली सांस्कृतिक जड़ें — हो, मुंडा, उराँव जैसे जनजातीय समूह
सरहुल, करम, टुसू, सोहराय, मोहर्रम, छठ, होली, ईद, क्रिसमस जैसे पर्व मनाए जाते हैं
पारंपरिक सिल्क-कोटन वस्त्र, बाँस व लकड़ी के शिल्प
संथाली नृत्य व संगीत, ढोल, मांदर, तीर-धनुष की परंपरा
विशेषताएँ:
देश का पहला इनलैंड वॉटरवे पोर्ट (गंगा नदी पर)
सिद्धो-कान्हू के बलिदान से जुड़ी ऐतिहासिक भूमि
प्राकृतिक वन क्षेत्र व जैव विविधता से समृद्ध
संथाल परगना की सांस्कृतिक राजधानी के रूप में उभरता जिला
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