पटना के महावीर कैंसर संस्थान के शोध विभाग ने एक अध्ययन में ऐसा खुलासा किया है जिसने नई चिंता खड़ी कर दी है. रिसर्च में दूध पिलाने वाली माताओं के ब्रेस्ट मिल्क में यूरेनियम की मौजूदगी पाई गई है. इससे शिशुओं के स्वास्थ्य जोखिम की संभावना जताई जा रही है. लेकिन संस्थान के डॉक्टरों का कहना है कि स्थिति घबराहट पैदा करने वाली नहीं है और इसे वैज्ञानिक रूप से समझने की जरूरत है.
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रिसर्च विभाग के प्रमुख डॉ. अशोक कुमार घोष ने बताया कि भूजल में यूरेनियम संदूषण भारत के लिए एक गंभीर समस्या बनता जा रहा है. देश के 18 राज्यों के 151 जिलों में भूजल में यूरेनियम की मौजूदगी रिपोर्ट की जा चुकी है. बिहार इसका सबसे अधिक प्रभावित राज्यों में शामिल है. कई अध्ययनों में गोपालगंज, सारण, सीवान, पूर्वी चंपारण, पटना, वैशाली, नवादा, नालंदा, सुपौल, कटिहार और भागलपुर जैसे जिलों में भी संदूषण मिल चुका है.
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नया रिसर्च अक्टूबर 2021 से जुलाई 2024 के बीच किया गया था. इसमें बिहार के भोजपुर, बेगूसराय, खगड़िया, कटिहार और नालंदा ज़िलों से 17 से 35 वर्ष की आयु की 40 महिलाओं के ब्रेस्ट मिल्क सैंपल लिए गए. यूरेनियम (U238) की मात्रा मापने के लिए USA के Agilent 7850 LC-ICP-MS उपकरण का उपयोग किया गया. विश्लेषण NIPER-हाजीपुर में किया गया.
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रिसर्च के नतीजों में सभी 40 सैंपल में 0 से 6 माइक्रोग्राम प्रति लीटर तक यूरेनियम की मौजूदगी मिली. सबसे अधिक यूरेनियम स्तर कटिहार जिले में 5.25 माइक्रोग्राम प्रति लीटर दर्ज किया गया. अध्ययन में पाया गया कि 70% बच्चों में नॉन-कार्सिनोजेनिक हेल्थ इफेक्ट होने की संभावना है, हालांकि कार्सिनोजेनिक जोखिम यानी कैंसर का खतरा नहीं मिला.
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डॉ. घोष ने बताया कि दूध में यूरेनियम के लिए अभी तक विश्व स्तर पर कोई निर्धारित सीमा नहीं है. अध्ययन के अनुसार यूरेनियम का स्रोत प्रदूषित भूजल या उसी पानी पर आधारित खाद्य पदार्थ हो सकते हैं. रिसर्च टीम में डॉ. अरुण कुमार, डॉ. अभिनव, डॉ. राधिका कुमारी, मेघा कुमारी, मुकेश कुमार, शिवम कुमार और कन्हैया कुमार शामिल थे.
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महावीर कैंसर संस्थान की मेडिकल निदेशक डॉ. मनीष सिंह ने आश्वस्त किया कि माताओं को घबराने की जरूरत नहीं है. उनके अनुसार स्तनपान बच्चों के लिए सबसे फायदेमंद है और इसे रोकने की कोई सलाह नहीं दी गई है. उन्होंने बताया कि संस्थान में कैंसर से जूझ रहे बच्चों के लिए अलग समर्पित फ्लोर की भी व्यवस्था है और बच्चों के स्वास्थ्य की नियमित मॉनिटरिंग पर विशेष ध्यान दिया जाता है.


























