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Politics : सासाराम में जदयू कार्यकर्ताओं की भिड़ंत, सीएम नीतीश के संवाद कार्यक्रम से पहले हंगामा!

रोहतास: सासाराम से बड़ी राजनीतिक खबर सामने आई है. सीएम नीतीश कुमार के संवाद कार्यक्रम से पहले ही जदयू कार्यकर्ताओं के बीच बवाल देखने को मिला. करगहर विधानसभा क्षेत्र से आए दो नेताओं के समर्थक आपस में भिड़ गए. बताया जा रहा है कि दोनों ही नेता इस बार विधानसभा चुनाव में टिकट के दावेदार हैं, जिससे उनके समर्थकों में तनाव उत्पन्न हो गया.

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हंगामे की शुरुआत मामूली झगड़े से हुई, लेकिन देखते ही देखते यह हाथापाई और धक्का-मुक्की में बदल गया. कार्यक्रम स्थल पर अफरा-तफरी का माहौल बन गया, मंच से कार्यकर्ताओं को शांत रहने की अपील की गई. लेकिन कई कार्यकर्ता अपनी नाराजगी और गुस्से को रोक नहीं पाए. इसी दौरान पुलिस को बीच-बचाव करना पड़ा और स्थिति को नियंत्रित किया गया.

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स्थानीय सूत्रों के अनुसार, दोनों गुटों में तनातनी का मुख्य कारण टिकट वितरण और व्यक्तिगत महत्वाकांक्षा रही. चुनावी मौसम में नेताओं के समर्थकों में इस तरह की टकराहटें आम हैं, लेकिन इस घटना ने जदयू संगठन की अनुशासनहीनता पर सवाल खड़े कर दिए हैं.

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इस घटना के दौरान कार्यक्रम स्थल पर पहुंची पुलिस ने सक्रिय हस्तक्षेप करते हुए कार्यकर्ताओं को अलग-अलग कर शांत कराया. पुलिस अधिकारियों ने बताया कि इस प्रकार की घटनाओं को देखते हुए सुरक्षा और व्यवस्थाओं को और कड़ा किया जाएगा, ताकि आगामी कार्यक्रम बिना किसी व्यवधान के संपन्न हो सके.

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राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि चुनावी दौर में नेताओं के समर्थकों के बीच इस तरह की झड़पें संगठन की छवि को प्रभावित कर सकती हैं. कार्यकर्ताओं का अनुशासन और आपसी तालमेल पार्टी की चुनावी रणनीति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है.

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इस मामले पर स्थानीय जनता और मीडिया की नजर भी बनी रही. कई लोगों ने कहा कि ऐसे बवाल से न केवल कार्यक्रम प्रभावित होते हैं, बल्कि आम जनता में पार्टी के प्रति विश्वास भी कम होता है. उन्होंने नेताओं से अपील की कि भविष्य में चुनावी तैयारियों के दौरान अनुशासन बनाए रखें और कार्यकर्ताओं को शांतिपूर्ण रहने की शिक्षा दें.

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अंततः पुलिस की सक्रियता से मामला शांत हुआ और कार्यक्रम बिना किसी बड़े हादसे के संपन्न हो सका. हालांकि, यह घटना जदयू कार्यकर्ताओं के भीतर बढ़ते आंतरिक विवाद और टिकट दावेदारी की राजनीति का स्पष्ट संकेत देती है.

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सासाराम में हुए इस बवाल ने यह दिखा दिया कि चुनावी तैयारियों के दौरान नेताओं और कार्यकर्ताओं के बीच संतुलन बनाए रखना कितना जरूरी है. राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि यदि पार्टी समय रहते अपने कार्यकर्ताओं के बीच समन्वय और अनुशासन बनाए रखने में विफल रही, तो इससे चुनावी नुकसान भी हो सकता है.

रिपोर्ट: मिथिलेश कुमार, रोहतास.