लखीसराय: बिहार विधानसभा चुनाव की आहट के साथ ही दावेदारी का दौर शुरू हो गया है. राष्ट्रीय जनता दल (राजद) में इस बार लखीसराय विधानसभा सीट से युवा नेता लक्ष्मण कुमार साव ने अपनी दावेदारी ठोककर राजनीतिक हलचल मचा दी है. वैश्य समाज से आने वाले लक्ष्मण साव ने राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव के समक्ष न केवल अपनी उम्मीदवारी का दावा किया बल्कि पूरे विधानसभा क्षेत्र का जातीय समीकरण भी सामने रखा.
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लक्ष्मण साव का कहना है कि लखीसराय विधान सभा क्षेत्र में वैश्य समुदाय की निर्णायक भूमिका है. कुल मतदाताओं में लगभग 1.80 लाख वोटर वैश्य समाज से आते हैं, जो किसी भी प्रत्याशी के लिए जीत-हार का आधार बन सकते हैं. साव का दावा है कि वे समाज के हर वर्ग के बीच लोकप्रिय हैं और राजद का सिंबल मिलने पर यह सीट आसानी से पार्टी की झोली में जाएगी.
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गौरतलब है कि लखीसराय सीट पर इस समय डिप्टी सीएम विजय सिन्हा का दबदबा माना जाता है. बीजेपी के कद्दावर नेता और प्रदेश की राजनीति में मजबूत पकड़ रखने वाले विजय सिन्हा 2020 के चुनाव में यहां से विजयी हुए थे. लेकिन लक्ष्मण साव का कहना है कि इस बार जनता बदलाव चाहती है और वे विजय सिन्हा को सीधी टक्कर देने का दम रखते हैं.
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राजद नेता साव ने लालू प्रसाद यादव के समक्ष अपनी रणनीति भी स्पष्ट की. उन्होंने बताया कि क्षेत्र में वैश्य समाज के अलावा अति पिछड़ा वर्ग, दलित और मुस्लिम मतदाताओं का भी बड़ा समर्थन उन्हें हासिल है. उनके मुताबिक, अगर पार्टी टिकट देती है तो जातीय समीकरण और संगठनात्मक मजबूती के बूते राजद इस सीट पर भारी जीत दर्ज कर सकती है.
लक्ष्मण साव ने खुद को एक जुझारू और युवा चेहरा बताते हुए कहा कि वे लगातार समाज के लिए काम कर रहे हैं. व्यापारियों की समस्याओं, बेरोजगारी और क्षेत्रीय विकास के मुद्दे पर वे हमेशा आवाज उठाते रहे हैं. उनके अनुसार, लखीसराय में आज भी उद्योग-धंधे और रोजगार के अवसरों की भारी कमी है. किसानों और युवाओं की स्थिति बदतर होती जा रही है. अगर वे विधायक चुने जाते हैं तो क्षेत्र के विकास को नई दिशा देंगे.
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राजद नेता ने यह भी आरोप लगाया कि मौजूदा जनप्रतिनिधि सिर्फ अपनी छवि चमकाने में लगे हैं और जनता की बुनियादी समस्याओं को नज़रअंदाज किया गया है. उनका कहना है कि लखीसराय की जनता अब बदलाव के मूड में है और वे ही इस बदलाव का चेहरा बन सकते हैं.
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राजनीतिक जानकार मानते हैं कि अगर राजद ने वैश्य समाज से उम्मीदवार उतारने का फैसला किया तो लक्ष्मण साव की दावेदारी मजबूत हो सकती है. क्योंकि लखीसराय में वैश्य समुदाय की संख्या न केवल निर्णायक है बल्कि चुनावी परिणाम पर सीधा असर डालती है.
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अब देखना दिलचस्प होगा कि राजद आलाकमान इस दावेदारी पर क्या फैसला लेता है और क्या लक्ष्मण साव को पार्टी का टिकट मिल पाता है. अगर ऐसा होता है तो लखीसराय की सीट पर इस बार मुकाबला बेहद कड़ा और हाईप्रोफाइल होने वाला है.
