बिहार विधानसभा चुनाव से ठीक पहले राष्ट्रीय जनता दल (RJD) में बगावत तेज हो गई है. बुधवार को पार्टी ने 10 और नेताओं को 6 साल के लिए बाहर का रास्ता दिखा दिया. इन नेताओं में एक सिटिंग विधायक, दो पूर्व विधायक और एक महिला नेता शामिल हैं. इससे पहले आरजेडी 27 नेताओं को निष्कासित कर चुकी है. यानी तीन दिन में कुल 37 नेताओं को पार्टी से निकाला जा चुका है.
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निष्कासित नेताओं में डेहरी के विधायक फतेह बहादुर सिंह, प्रदेश उपाध्यक्ष सतीश कुमार, पूर्व विधायक मो. गुलाम जिलानी वारसी, मो. रियाजुल हक राजू, प्रदेश महासचिव अमोध मंडल, और कई वरिष्ठ पदाधिकारी शामिल हैं. पार्टी का कहना है कि ये सभी आधिकारिक उम्मीदवारों के खिलाफ चुनाव प्रचार में शामिल थे या निर्दलीय रूप से मैदान में हैं.
कई निष्कासित नेताओं ने खुलेआम आरजेडी नेतृत्व पर “परिवारवाद” और “दोहरा मापदंड” का आरोप लगाया है. रितु जायसवाल ने कहा कि पार्टी में एक मापदंड परिवार के लिए और दूसरा कार्यकर्ताओं के लिए है. उन्होंने आरोप लगाया कि “2020 में जब पूर्व मंत्री रामचंद्र पूर्वे ने पार्टी विरोधी काम किया, तब कोई कार्रवाई नहीं हुई, लेकिन आज जमीनी नेताओं को बाहर किया जा रहा है.”
वहीं, आरजेडी के कई बागी अब तेजप्रताप यादव की पार्टी जनशक्ति जनता दल, जदयू, या बीजेपी में शामिल हो चुके हैं. परसा के पूर्व विधायक छोटे लाल राय ने जदयू जॉइन कर ली है, जबकि मुजफ्फरपुर के पूर्व सांसद अनिल सहनी भी जदयू में चले गए हैं.
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राजद के प्रवक्ताओं ने कहा है कि पार्टी अनुशासनहीनता बर्दाश्त नहीं करेगी. “जो उम्मीदवार पार्टी विरोधी गतिविधियों में शामिल होंगे, उन्हें बाहर किया जाएगा,” बयान में कहा गया.
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इधर राजनीतिक विश्लेषक इसे “राजद में अंदरूनी असंतोष की खुली बगावत” बता रहे हैं. उनका कहना है कि टिकट बंटवारे में पारदर्शिता की कमी और तेजस्वी-तेजप्रताप के बीच दूरी इस बगावत की बड़ी वजह है.


























