बिहार की सियासत में सोमवार को एक भावुक पल देखने को मिला, जब राजद की पूर्व नेता रितु जायसवाल ने परिहार विधानसभा सीट से निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में नामांकन किया. नामांकन के दौरान आयोजित सभा में वे फूट-फूटकर रो पड़ीं. उन्होंने समर्थकों के सामने कहा कि “परिहार के लोग मेरे बिना नहीं रह पाएंगे और मैं उनके बिना नहीं जी पाऊंगी. मेरी पंचायत में जब बाढ़ आई थी, तब कोई विधायक हाल पूछने नहीं आया. ना जीता हुआ कोई आया, ना हारा हुआ कोई आया. मैं तो जनता को जीताकर भी हार गई.”
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राजद द्वारा टिकट कटने के बाद रितु जायसवाल ने पार्टी पर गंभीर आरोप लगाए हैं. उन्होंने सोशल मीडिया पर पोस्ट करते हुए लिखा कि राजद के अंदर रात के अंधेरे में चोरी-छिपे टिकट बांटे जाते हैं. उन्होंने कहा कि परिहार से निर्दलीय चुनाव लड़ने का फैसला उनके लिए आसान नहीं था, लेकिन यह कदम लेना जरूरी हो गया था. उनके अनुसार पार्टी के अंदर दलालों का वर्चस्व बढ़ता जा रहा है और यह साफ-सुथरी राजनीति के लिए खतरा है.
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रितु जायसवाल का यह बयान राजद के भीतर मचे टिकट विवाद को और गहराई दे गया है. उनके समर्थक सोशल मीडिया पर खुलकर उनके पक्ष में उतर आए हैं और “#RituJaiswal” ट्रेंड कर रहा है. राजनीतिक विशेषज्ञों का कहना है कि रितु जायसवाल के निर्दलीय चुनाव मैदान में उतरने से सीतामढ़ी और आसपास की कई सीटों पर समीकरण प्रभावित होंगे.
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पार्टी से अलग होकर रितु जायसवाल का यह कदम महागठबंधन के भीतर असंतोष की नई लहर पैदा कर सकता है. कभी तेजस्वी यादव की करीबी मानी जाने वाली रितु ने अब खुलकर राजद नेतृत्व को कटघरे में खड़ा कर दिया है. दीपावली के बीच यह सियासी घटनाक्रम बिहार में चुनावी माहौल को और गर्माने वाला साबित हो रहा है.