प्रशांत किशोर ने राजनीति में अपनी भूमिका और जनसुराज अभियान के प्रति प्रतिबद्धता को लेकर ऐतिहासिक घोषणा की है. उन्होंने कहा कि आने वाले 5 वर्षों में जो भी कमाई होगी उसका 90% हिस्सा वह जनसुराज में लगाएंगे. इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि पिछले 20 वर्षों में अर्जित की गई संपत्ति में से दिल्ली वाला घर छोड़कर बाकी पूरी संपत्ति जनसुराज को दान कर रहे हैं.
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प्रशांत किशोर ने इस फैसले को जनता की सेवा और बिहार के परिवर्तन के संकल्प से जोड़ा है. उन्होंने कहा कि जनसुराज केवल राजनीतिक आंदोलन नहीं, बल्कि शासन व्यवस्था में सुधार की एक जन-भागीदारी मॉडल की शुरुआत है. उनका मानना है कि सत्ता पाने से ज्यादा महत्वपूर्ण है लोगों के जीवन में वास्तविक सुधार लाना.
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PK के इस निर्णय को समर्थकों ने साहसिक बताते हुए कहा कि राजनीति में ऐसा त्याग और पारदर्शिता कम ही देखने को मिलता है. राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि इस कदम से जनसुराज आंदोलन को बड़ी ऊर्जा और विश्वसनीयता मिलेगी.
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हालांकि विपक्षी दल इसे राजनीतिक रणनीति और भावनात्मक कार्ड बता रहे हैं, लेकिन PK के समर्थकों का कहना है कि वह शुरुआत से ही जनसुराज को सामाजिक आंदोलन के रूप में खड़ा कर रहे हैं, न कि लाभ आधारित राजनीतिक संगठन की तरह.
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अब आगे देखना होगा कि आने वाले चुनावी और राजनीतिक समीकरणों में PK और जनसुराज की यह वैचारिक और आर्थिक प्रतिबद्धता किस तरह असर दिखाती है.

























