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Bihar : शिक्षा विभाग या धांधली विभाग? एक नाम पर दो-दो शिक्षिकाएं!

पटना: शिक्षा विभाग में चौंकाने वाला फर्जीवाड़ा सामने आया है. एक ही महिला के नाम, सर्टिफिकेट और पैन नंबर का इस्तेमाल कर झारखंड और बिहार में दो अलग-अलग महिलाएं शिक्षिका की नौकरी कर रही थीं. यह मामला तब उजागर हुआ जब झारखंड की असली शिक्षिका ने बैंक से लोन के लिए आवेदन किया.

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बोकारो (झारखंड) के चास स्थित उत्क्रमित मध्य विद्यालय सिंहडीह में 2005 से सहायक शिक्षिका के पद पर कार्यरत मनोरमा देवी ने स्टेट बैंक ऑफ इंडिया की चास कोर्ट शाखा से हाउसिंग लोन के लिए आवेदन किया. बैंक की जांच में सामने आया कि उनके नाम पर पहले ही बिहार के बाढ़ से 7 लाख रुपये का लोन लिया जा चुका है.

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जांच में पता चला कि सीवान निवासी दूसरी महिला ने असली मनोरमा देवी के सर्टिफिकेट का गलत इस्तेमाल कर 2010 में बाढ़ के विद्यालय में नियुक्ति ले ली. पहले उनकी पोस्टिंग नगर परिषद के मध्य विद्यालय हरिजन बाढ़ में हुई थी और बाद में कमला कन्या मध्य विद्यालय, बाढ़ में ट्रांसफर हो गईं. फर्जी शिक्षिका का नाम भी मनोरमा देवी ही है और उसकी शादी संजय कुमार पाठक से हुई है. आरोप है कि पति की मदद से ही यह जालसाजी संभव हो सकी.

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जब बैंक मैनेजर ने फर्जी शिक्षिका से पैन कार्ड मांगा तो उसने पहले टालमटोल किया और फिर कार्ड खो जाने का बहाना बना दिया. संदेह होने पर बैंक अधिकारियों ने विद्यालय जाकर सर्टिफिकेट की जांच की. सभी डिटेल्स—नाम, पिता का नाम, जन्मतिथि और रोल नंबर—असली मनोरमा से पूरी तरह मेल खा गए.

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असली मनोरमा देवी ने 4 सितंबर को बाढ़ पहुंचकर शिक्षा विभाग और पुलिस को लिखित शिकायत दी. उन्होंने कहा—“मेरे सर्टिफिकेट का गलत इस्तेमाल कर नौकरी और लोन लिया गया है. इसमें जो भी लोग शामिल हैं, उन पर कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए.”

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मामला उजागर होने के बाद से फर्जी शिक्षिका विद्यालय से गायब है. पुलिस उसकी तलाश कर रही है. बाढ़ प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी सुजीत कुमार सोनू ने बताया कि मामले की जांच शुरू कर दी गई है और वरीय अधिकारियों को सूचना भेज दी गई है.

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इस मामले ने शिक्षा विभाग की भर्ती प्रक्रिया और सत्यापन प्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं. नियुक्ति के समय प्रमाणपत्रों की जांच और काउंसिलिंग में इतनी बड़ी चूक कैसे हो गई, यह अब सबसे बड़ा सवाल है.