नेपाल में फैली हिंसा और जेल ब्रेक की घटना का सीधा असर अब भारत पर भी दिख रहा है. बिहार के छह जिलों — पश्चिमी चंपारण, पूर्वी चंपारण, सीतामढ़ी, मधुबनी, सुपौल और किशनगंज — की इंटरनेशनल बॉर्डर को मंगलवार रात से पूरी तरह सील कर दिया गया है. नतीजा यह है कि सीमा पार आवाजाही पूरी तरह ठप हो चुकी है. ट्रकों की 5 किलोमीटर लंबी लाइन लगी हुई है और करीब 10 हजार गाड़ियां बॉर्डर पर फंस गई हैं.
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स्थिति इतनी गंभीर हो गई है कि सुरक्षा एजेंसियों ने हाई अलर्ट घोषित कर दिया है. जलेश्वर जेल से फरार हुए 576 कैदियों में से 10 को सीतामढ़ी बॉर्डर पर एसएसबी ने धर दबोचा. इनमें से 2 भारतीय और 8 नेपाली हैं. सवाल यह भी उठ रहा है कि बाकी सैकड़ों कैदी कहां गए और क्या उनमें से कुछ ने भारतीय सीमा में दाखिल होने की कोशिश की है.
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नेपाल में क्यों भड़की हिंसा?
नेपाल में बीते तीन दिनों से हालात बेकाबू हैं. भ्रष्टाचार और बेरोजगारी के खिलाफ लोगों ने सड़कों पर उतरकर सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया. देखते ही देखते विरोध हिंसक रूप ले बैठा. काठमांडू सहित कई बड़े शहरों में आगजनी और लूटपाट की घटनाएं हुईं. प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली को इस्तीफा देकर राजधानी छोड़नी पड़ी. आंदोलनकारियों ने उनके निजी आवास में आग लगा दी. राष्ट्रपति भवन और सुप्रीम कोर्ट तक को भी प्रदर्शनकारियों ने नहीं छोड़ा. नेपाल के तीन पूर्व प्रधानमंत्रियों — शेर बहादुर देउबा, झालानाथ खनाल और पुष्प कमल दहल प्रचंड — के घरों में आगजनी की गई.
इन घटनाओं में अब तक 22 लोगों की मौत और 400 से ज्यादा लोग घायल हो चुके हैं. हालात काबू में करने के लिए मंगलवार रात 10 बजे से नेपाल की सेना ने देश का नियंत्रण अपने हाथ में ले लिया.
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जेल ब्रेक से मची अफरा-तफरी
नेपाल की जलेश्वर जेल में मंगलवार को अभूतपूर्व घटना हुई. आंदोलनकारियों ने अपने नेताओं को छुड़ाने के लिए जेल पर हमला कर दिया. इसके बाद जेल का ताला तोड़ा गया और वहां बंद 577 कैदियों में से 576 कैदी फरार हो गए. इन्हीं में से 10 कैदी देर रात भारत में प्रवेश करने की कोशिश कर रहे थे, जिन्हें सीतामढ़ी बॉर्डर पर एसएसबी ने पकड़ लिया. पूछताछ में पता चला कि उनमें 2 भारतीय मूल के हैं जबकि बाकी 8 नेपाली नागरिक. फिलहाल, इनसे कड़ी पूछताछ की जा रही है.
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बिहार सीमा पर सख्ती, सभी बॉर्डर सील
नेपाल से लगे बिहार के छह जिलों की सीमा पूरी तरह सील कर दी गई है. सीतामढ़ी के भिट्ठा बॉर्डर पर चौकसी बढ़ा दी गई है. एसएसबी और पुलिस मिलकर 24 घंटे निगरानी कर रहे हैं. मधुबनी के जयनगर रेलवे स्टेशन से जनकपुर जाने वाली रेल सेवा अनिश्चितकाल के लिए रोक दी गई है. यात्रियों की गहन जांच की जा रही है. सुपौल के कुनौली बॉर्डर पर नेपाली नागरिकों का भारत में प्रवेश पूरी तरह बंद कर दिया गया है. भारतीयों को भी नेपाल जाने से रोका जा रहा है. किशनगंज के गलगलिया के भातगांव बॉर्डर पर रोक लगा दी गई है और सुरक्षा जांच कड़ी कर दी गई है. मोतिहारी के रक्सौल बॉर्डर से हजारों लोग भारत लौट आए हैं. अब इस बॉर्डर को भी बंद कर दिया गया है. बेतिया के इनरवा और सिकटा बॉर्डर पूरी तरह सील कर दिए गए हैं.
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मोतिहारी के एसपी स्वर्ण प्रभात और बेतिया के एसपी शौर्य सुमन ने खुद सीमा पर जाकर हालात का जायजा लिया और जवानों को 24 घंटे अलर्ट पर रहने का निर्देश दिया.
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ट्रकों की कतार और व्यापार पर संकट
सीमा सील होते ही बॉर्डर पर मालवाहक ट्रकों की लंबी लाइन लग गई. रक्सौल आईसीपी से नेपाल में 70% से ज्यादा माल जाता है. ड्राइवरों का कहना है कि अगर बॉर्डर जल्द नहीं खुला तो उनका माल सड़ जाएगा. एक ड्राइवर ने बताया, “हम 24 घंटे से यहीं फंसे हैं. ट्रक में कच्चा माल भरा हुआ है. अगर जल्दी रास्ता नहीं खुला तो सब खराब हो जाएगा.” इसी तरह हजारों ट्रक सुपौल, किशनगंज और बेतिया बॉर्डर पर भी खड़े हैं.
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भारतीय नागरिक लौट रहे घर
नेपाल में हिंसा और कर्फ्यू के बाद वहां रह रहे भारतीय बड़ी संख्या में लौट रहे हैं. मजदूर, व्यापारी और पर्यटक सब जल्द से जल्द अपने घर पहुंचना चाहते हैं. मोतिहारी के रक्सौल बॉर्डर पर मंगलवार रात तक हजारों लोग भारत आ चुके थे. लेकिन रात 10 बजे के बाद इस बॉर्डर को भी सील कर दिया गया. मधुबनी से लौटे एक यात्री ने बताया कि वे “15 किलोमीटर पैदल चलकर जयनगर स्टेशन पहुंचे क्योंकि नेपाल में कोई सवारी नहीं मिल रही थी.”
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नेपाल में सेना का नियंत्रण और हालात
नेपाल में सोशल मीडिया बैन कर दिया गया है ताकि अफवाहें न फैलें. सेना ने चेतावनी दी है कि कोई भी उपद्रवी गतिविधियों में शामिल न हो. बावजूद इसके आंदोलन जारी है और कई जगहों पर झड़पें हो रही हैं. प्रदर्शनकारियों का गुस्सा इतना भयानक है कि उन्होंने पीएम ओली के अलावा अन्य नेताओं के घरों को भी निशाना बनाया. पूर्व प्रधानमंत्री झालानाथ खनाल की पत्नी राजलक्ष्मी चित्रकार गंभीर रूप से जल गईं और इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई.
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भारत सरकार भी सतर्क
भारत सरकार ने नेपाल से लगे सभी बॉर्डर पर सुरक्षा बढ़ा दी है. डॉग स्क्वॉड, सीसीटीवी और अतिरिक्त जवान तैनात किए गए हैं. फरार कैदियों पर खास नजर रखी जा रही है. गृह मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक, किसी भी हालत में फरार कैदियों को भारतीय सीमा में दाखिल नहीं होने दिया जाएगा.
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नेपाल की हिंसा का असर सीधे बिहार पर
नेपाल की हिंसा का असर अब सीधे भारत और खासकर बिहार पर दिख रहा है. सीमा बंद होने से व्यापार प्रभावित है, हजारों गाड़ियां फंसी हैं और आम नागरिक परेशान हैं. दूसरी तरफ, फरार कैदियों के भारत में घुसने की कोशिश ने सुरक्षा एजेंसियों की चिंता बढ़ा दी है. फिलहाल, हालात कब तक सामान्य होंगे यह कहना मुश्किल है. नेपाल में सेना ने नियंत्रण अपने हाथ में ले लिया है, लेकिन जनता का गुस्सा थमने का नाम नहीं ले रहा. अगर जल्द स्थिति नहीं सुधरी तो भारत-नेपाल रिश्तों और व्यापार दोनों पर गहरा असर पड़ सकता है.

कंटेंट ब्यूरो एडिटर
सहारा समय बिहार.