नालन्दा: बुधवार को बिहारशरीफ के अस्पताल मोड़ पर नालन्दा जिला ग्राम कचहरी सचिव संघ के सैकड़ों सचिवों ने एक दिवसीय धरना प्रदर्शन किया. सचिवों ने सरकार द्वारा हाल ही में घोषित 9,000 रुपये के मानदेय को अपमानजनक करार देते हुए अपनी वास्तविक मांग 30,000 रुपये और नियमितकरण का अल्टीमेटम दे दिया.
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धरने का नेतृत्व संघ के कोषाध्यक्ष मुक़ेश कुमार सिन्हा ने किया. उन्होंने कहा कि 2007 में नियुक्ति के समय मानदेय मात्र 2,000 रुपये था, 2015 में इसे 6,000 रुपये किया गया और हाल ही में कैबिनेट ने 9,000 रुपये का निर्णय लिया. सचिवों ने कहा कि महंगाई और परिवार की जरूरतों के बीच यह राशि काफी कम है. कई महीनों से वेतन भुगतान भी लटका हुआ है और कर्मचारी कर्ज लेकर घर-परिवार चला रहे हैं.
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धरने में शामिल सचिवों ने चेतावनी दी कि अगर उनकी माँगें नहीं मानी गईं तो आंदोलन को उग्र रूप दिया जाएगा और इसे पटना तक बढ़ाकर सरकार को अस्थिर करने तक की ठानी गई है. मंच से कई बार नारों में यह कहा गया कि सरकार ने तत्काल कदम नहीं उठाया तो संघ सड़कों पर तांडव करेगा.
संघ ने जिलाधिकारी को लिखित ज्ञापन सौंपते हुए 7 महीने से वेतन न मिलने, बढ़ती महंगाई और बढ़ते कर्ज के हालात पर तत्काल संज्ञान लेने की मांग की.
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प्रशासनिक अधिकारियों ने मौके पर पहुँचकर शांतिपूर्ण संवाद की अपील की. हालांकि सचिवों ने समाधान की तत्काल उम्मीद जताई, पर तेवर कड़े बने रहे. इलाके में सुरक्षा व्यवस्था कड़ी कर दी गई.
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विश्लेषण: हालिया बिहार कैबिनेट फ़ैसले में ग्राम कचहरी सचिवों का मानदेय 9,000 रुपये तय किया गया, जिसे सचिव महंगाई के मुकाबले न्यूनतम अनादर मान रहे हैं. पंचायत स्तर पर काम करने वाले अन्य संविदा कर्मचारियों के मुकाबले यह राशि कम प्रतीत होती है. यही कारण है कि संघ ने सख़्त रुख़ अपनाया.
रिपोर्ट: वीरेंद्र कुमार, नालंदा.