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Nalanda : तनुजा vs 25 सदस्य! नालंदा जिप में तख़्तापलट का खेल, योजनाओं पर लगी ब्रेक, जनता परेशान!

नालंदा: जिला परिषद (जिप) नालंदा में शनिवार को बुलाई गई विशेष बैठक ने सियासी भूचाल ला दिया है. परिषद अध्यक्ष तनुजा कुमारी और परिषद के कई सदस्यों के बीच लंबे समय से चल रहा मतभेद अब खुलकर सामने आ गया है. बैठक को लेकर अध्यक्ष और सदस्यों के बीच बयानबाज़ी तेज हो गई है, जिसके चलते जिले में विकास योजनाओं पर भी संकट गहराता दिख रहा है.

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जिला परिषद अध्यक्ष तनुजा कुमारी ने इस विशेष बैठक को पूरी तरह अवैध करार दिया. उन्होंने साफ शब्दों में आरोप लगाया कि तानाशाही और दबंगई के दम पर विकास कार्यों को रोकने की साज़िश की जा रही है. तनुजा कुमारी के मुताबिक, कुछ लोग व्यक्तिगत रंजिश और राजनीतिक फायदे के लिए योजनाओं को रोक रहे हैं और जनता को परेशान कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि यह बैठक सिर्फ उन्हें निशाना बनाने और जिला परिषद की कार्यप्रणाली को बाधित करने की एक सुनियोजित कोशिश है.

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दूसरी ओर, जिला परिषद के 12 सदस्यों ने पलटवार करते हुए अध्यक्ष पर गंभीर आरोप लगाए. उनका कहना है कि पिछले डेढ़ साल से अध्यक्ष की मनमानी और दबाव के कारण कई महत्वपूर्ण योजनाओं की फाइलें अटकी हुई हैं. भुगतान की प्रक्रिया रुकने से पंचायत और प्रखंड स्तर पर विकास कार्य पूरी तरह ठप पड़ गए हैं. सदस्यों ने दावा किया कि अब उनकी संख्या बढ़कर 25 हो गई है, जो पूर्ण बहुमत है. इस बहुमत के दम पर उन्होंने ऐलान किया कि योजनाओं का चयन और स्वीकृति का अधिकार अब डीडीसी (उपविकास आयुक्त) को सौंपा जाएगा.

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सदस्यों का आरोप है कि अध्यक्ष की वजह से जिले के विकास कार्य पिछड़ रहे हैं और जनता को सीधे तौर पर नुकसान हो रहा है. उन्होंने कहा कि अगर समय पर भुगतान और योजना स्वीकृति नहीं होगी तो पंचायतों में चल रही कई परियोजनाएं अधूरी रह जाएंगी. यही वजह है कि उन्होंने डीडीसी को अधिकार देने का निर्णय लिया है ताकि विकास कार्य बिना बाधा के आगे बढ़ सकें.

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तनुजा कुमारी ने इस फैसले को लोकतांत्रिक व्यवस्था के खिलाफ बताते हुए कहा कि परिषद के अधिकारों को डीडीसी को सौंपना न सिर्फ नियमों का उल्लंघन है बल्कि जनता के जनादेश का अपमान भी है. उन्होंने चेतावनी दी कि यदि योजनाओं को रोका गया तो वे उच्च स्तर पर शिकायत दर्ज कराएंगी और न्याय की लड़ाई जारी रखेंगी.

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इस विवाद ने नालंदा की जिला राजनीति में हलचल मचा दी है. एक ओर अध्यक्ष खुद को साज़िश का शिकार बता रही हैं, तो दूसरी ओर बहुमत का दावा करने वाले सदस्य उन्हें विकास में रुकावट का जिम्मेदार ठहरा रहे हैं. परिषद के भीतर यह खींचतान तख़्तापलट जैसी स्थिति पैदा कर रही है, जहां सत्ता संतुलन पूरी तरह बदल सकता है.

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फिलहाल, जिला परिषद के इस टकराव का सीधा असर जनता तक पहुंच रहा है. भुगतान और फाइलें अटकी होने से ग्रामीण विकास की कई योजनाएं अधर में लटकी हैं. आने वाले दिनों में अध्यक्ष और सदस्यों के बीच यह जंग और तेज होने की संभावना है, जिससे नालंदा जिले की राजनीति और विकास दोनों पर बड़ा असर पड़ सकता है.

रिपोर्ट: वीरेंद्र कुमार, नालंदा.