नालंदा: जिले के रहुई थाना क्षेत्र से एक बार फिर सरकार की लापरवाहियों की पोल खोल देने वाली तस्वीर सामने आई है. बिहटा–सरमेरा एसएच 78 पर भेंडा और सोसंदी गांव के बीच पानी भरे गड्ढे में रविवार की सुबह तेज़ रफ्तार स्कॉर्पियो जा गिरी. नतीजा – गाड़ी में सवार चार में से तीन लोगों की मौत मौके पर ही हो गई और एक गंभीर रूप से घायल है.
Sheohar : हत्याकांड के खुलासा में पुलिस को लगे 14 साल… वाह रे कानून!
ग्रामीणों के मुताबिक यह गड्ढा कोई नया नहीं था. महीनों से यह सड़क मौत को दावत दे रही थी, लेकिन सरकार और विभागीय अधिकारी शायद किसी बड़े हादसे का इंतजार कर रहे थे. जब तक गड्ढा इंसान नहीं निगल ले, तब तक सिस्टम की नींद पूरी नहीं होती.
Politics : संसद में बेटी पर भड़के लोग! मंत्री ने मंच से ही कह दिया- ‘नहीं चाहिए आपका वोट!
सुबह जब ग्रामीण शौच के लिए निकले, तो उनकी नज़र पानी भरे गड्ढे में उलटी पड़ी स्कॉर्पियो पर पड़ी. गाड़ी में फंसे शवों को देखकर लोग दहशत में आ गए. ग्रामीणों ने तत्काल पुलिस को सूचना दी. पुलिस पहुंची, शव निकाले, घायल को अस्पताल भेजा… और रुटीन बयानबाजी शुरू हो गई – “जांच चल रही है.”
Jamui : पुलिस वर्दी या पावर का नशा? जमुई में थप्पड़ कांड!
लेकिन असली सवाल यह है कि आखिर कब तक लोग इन सड़कों और सरकार की लापरवाही की कीमत अपनी जान देकर चुकाते रहेंगे? करोड़ों के बजट वाली सड़कें बरसात की पहली बूंद में गड्ढों में तब्दील हो जाती हैं और हादसों में मासूम लोग मरते रहते हैं.
Munger : एक बच्ची का पहला रोना… माँ के आखिरी साँस से जुड़ा… क्या यही है हेल्थकेयर?
तीन जिंदगीयाँ इस हादसे में खत्म हो गईं. न पहचान सामने आई, न जिम्मेदारी तय हुई. आखिर किसे दोष दें – उस गड्ढे को, या उस व्यवस्था को जो सालों से इन गड्ढों को भरने का नाम नहीं लेती?
Rohtas : गोलियों की गूंज, पुलिस की जीत – अपहृत शिक्षक सुरक्षित!
वाह रे विकास! सड़कें नहीं बनतीं, लेकिन दुर्घटनाओं के आंकड़े ज़रूर बढ़ते रहते हैं. अब देखने वाली बात होगी कि इस बार भी सरकार हादसे पर “मुआवज़ा” थमा कर मामले को रफा-दफा करती है या कभी सच में गड्ढों को भरने का काम करेगी.
Leave a Reply