नालंदा जिले के चुनाव परिणामों की गहमागहमी के बीच इस बार नोटा ने ऐसा प्रभाव दिखाया, जिसने राजनीतिक दलों को नए सिरे से सोचने पर मजबूर कर दिया है. जिले की सातों विधानसभा सीटों पर कुल 35,493 मतदाताओं ने नोटा का बटन दबाया, जो पिछली बार के मुकाबले चार गुना ज्यादा है. इस बढ़ोतरी ने साफ संकेत दिया है कि एक बड़ा जनसमूह मौजूदा राजनीतिक विकल्पों से संतुष्ट नहीं है.
सबसे दिलचस्प और चौंकाने वाली बात यह रही कि कुल 68 प्रत्याशियों में से 46 उम्मीदवार ऐसे रहे जिन्हें नोटा से भी कम वोट मिले. यानी मतदाताओं ने स्पष्ट रूप से बताया कि “इनसे अच्छा तो कोई नहीं” ही बेहतर विकल्प है. यह स्थिति कई दलों और निर्दलीय उम्मीदवारों के लिए वास्तविकता का आईना भी बनकर सामने आई है.
राजगीर विधानसभा क्षेत्र नोटा का केंद्र रहा, जहां रिकॉर्ड 6,870 वोट नोटा के पक्ष में पड़े. इस सीट पर जदयू, भाकपा माले और जन सुराज के बाद चौथे स्थान पर नोटा रहा. सात में से चार प्रत्याशियों को नोटा से भी कम मत मिले, जिसने इन उम्मीदवारों की स्वीकार्यता पर सवाल खड़ा कर दिया. इसके विपरीत बिहारशरीफ में सबसे कम 3,514 नोटा वोट पड़े, लेकिन यहां भी 10 में से छह प्रत्याशियों को नोटा से कम मत मिले.
Bihar Election : AIMIM ने दिखाया दम—5 सीटों पर जीत दर्ज!
इस्लामपुर का आंकड़ा भी राजनीति के लिए चेतावनी जैसा है. यहां 13 में से 10 प्रत्याशी नोटा के पीछे रह गए. हरनौत में भी 11 में से आठ उम्मीदवार नोटा से नीचे रहे. वहीं अस्थावां में 6,519, नालंदा में 4,825 और हिलसा में 3,853 वोट नोटा को मिले.
Bihar Election : नालंदा की सातों सीटों पर एनडीए का कब्ज़ा, श्रवण कुमार की ऐतिहासिक आठवीं जीत!
नोटा में आई इस अभूतपूर्व वृद्धि को नजरअंदाज करना राजनीतिक दलों की भूल होगी. ये आंकड़े स्पष्ट संकेत दे रहे हैं कि मतदाता अब सिर्फ परंपरागत उम्मीदवारों या जातीय समीकरणों पर आधारित राजनीति को स्वीकार नहीं कर रहा. खराब उम्मीदवारों या गैर-पारदर्शी टिकट वितरण के खिलाफ वोटर अब खुलकर अपना असंतोष दर्ज करा रहा है.
Bihar Election : कैमूर के रामगढ़ काउंटिंग सेंटर बना रणभूमि—लाठीचार्ज और आगजनी!
नालंदा में नोटा का यह उभार बताता है कि जनता विकल्प चाहती है, मजबूत नेतृत्व चाहती है और सबसे महत्वपूर्ण—जनता अब चुप नहीं रहना चाहती. राजनीतिक दलों के लिए यह समय है अपनी रणनीतियों, उम्मीदवार चयन और जनसंपर्क मॉडल को नए सिरे से समझने का.

























