मुंगेर: गंगा का जलस्तर लगातार बढ़ रहा है और लाल निशान से महज चार सेंटीमीटर नीचे बह रही है. नदी का रौद्र रूप मुंगेर जिले के कई गांवों के लिए तबाही लेकर आया है. गंगा पार की पंचायतें—जाफरनगर, कुतलुपुर, टिकारामपुर, झौवाबहियार और हरिणमार—पूरी तरह बाढ़ के पानी से घिर चुकी हैं. गांवों में घरों तक पानी घुस गया है और लोग डर और बेबसी में जीने को मजबूर हैं.
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सबसे ज्यादा दर्दनाक स्थिति कुतलुपुर पंचायत के वार्ड संख्या 6 (हरी टोला) की है. यहां गंगा का कटाव इतनी तेजी से हो रहा है कि अब तक एक दर्जन से अधिक घर नदी की लहरों में समा चुके हैं. जिन घरों में कभी बच्चों की हंसी गूंजती थी, वहां अब सिर्फ नदी की गड़गड़ाहट सुनाई देती है. लोग अपनी जमीन, अपनी छत और अपनी यादों को गंगा की धारा में बहते देख रहे हैं.
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इसी दर्द को लेकर सोमवार को सैकड़ों ग्रामीण जिलाधिकारी निखिल धनराज निप्पीणीकर से मिलने पहुंचे. ग्रामीणों की आंखों में आंसू थे और दिल में बस एक ही सवाल—“हम अब कहां जाएंगे?” उन्होंने प्रशासन से गुहार लगाई कि उन्हें पुनर्वास के लिए स्थायी जमीन दी जाए ताकि वे अपने बच्चों के साथ फिर से जिंदगी शुरू कर सकें.
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नीतू देवी और विभा देवी, जिनके घर गंगा में समा चुके हैं, ने रोते हुए कहा—“हमारे बच्चे खुले आसमान के नीचे हैं, अब हमें सिर्फ जीने की जगह चाहिए.” वहीं ग्रामीण घनश्याम दास और सम्पति पासवान ने कटाव को भयावह बताते हुए कहा कि अगर समय रहते कदम नहीं उठाया गया तो पूरा गांव गंगा में समा जाएगा.
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गंगा की लहरें लगातार गांव को निगल रही हैं और लोग बेबस होकर उसे देखते रह जाते हैं. यह सिर्फ एक प्राकृतिक आपदा नहीं, बल्कि हजारों परिवारों के अस्तित्व का सवाल बन चुका है.
रिपोर्ट: मिथुन कुमार, मुंगेर.