मोतिहारी के रामगढ़वा थाना क्षेत्र में पिछले दो हफ्तों से ग्रामीण तेंदुए के खौफ में जी रहे हैं. महज दो दिनों में तेंदुए के हमले में महिला समेत चार लोग घायल हो चुके हैं. बावजूद इसके, वन विभाग इस जानवर को ‘तेंदुआ’ मानने को तैयार नहीं है.
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नवीनतम मामला मुरला पंचायत के भेड़िहरवा गांव का है. यहां ग्रामीण गीता देवी और नागेंद्र साह पर तेंदुए ने हमला कर दिया. गीता देवी के सीने पर गंभीर चोटें आईं, जबकि नागेंद्र साह अपने गौशाला में सो रहे थे तभी उन पर हमला हुआ और उनके सीने व हाथ में गहरे जख्म हो गए. दोनों को इलाज के लिए अस्पताल भेजा गया है.
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इसी तरह बेलासपुर गांव में भी शेख जब्बार और एजाज अहमद तेंदुए के हमले का शिकार हो गए. दोनों का इलाज निजी नर्सिंग होम में चल रहा है. घायलों का कहना है कि कई बार सूचना देने के बावजूद वन विभाग तेंदुए को पकड़ने की कोई कार्रवाई नहीं कर रहा है.
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स्थानीय लोगों का कहना है कि जानवर को धरमीनिया रेलवे हॉल्ट और मुरला गांव के आसपास बार-बार देखा जा रहा है. वहीं, वन विभाग का दावा है कि पगमार्क मात्र 3.5 इंच का मिला है, जो ‘वाइल्ड कैट’ का है, तेंदुए का नहीं. इस दावे को लेकर ग्रामीण और वन विभाग आमने-सामने हैं.
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गौरतलब है कि 15 अगस्त को भी मुरला गांव में ग्रामीणों ने बाघ जैसी आकृति वाला जानवर देखने की सूचना दी थी. तब भी वन विभाग ने पगमार्क के आधार पर इसे ‘वाइल्ड कैट’ करार दिया था. आशंका जताई जा रही है कि नेपाल के जलग्रहण क्षेत्रों में हाल की भारी बारिश के बाद यह जानवर बहकर यहां पहुंचा होगा.
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लगातार हो रहे हमलों से इलाके में दहशत का माहौल है और ग्रामीण सुरक्षा की मांग कर रहे हैं.
रिपोर्ट: ब्रजेश झा, मोतिहारी.