बिहार विधानसभा चुनाव के बीच मोकामा में हुई RJD नेता दुलारचंद यादव की हत्या ने पूरे प्रदेश की राजनीति में भूचाल ला दिया है. चुनाव आयोग ने इस घटना को गंभीरता से लेते हुए बिहार के डीजीपी विनय कुमार से विस्तृत रिपोर्ट मांगी है. वहीं 28 घंटे बाद शनिवार को दुलारचंद यादव का अंतिम संस्कार उमानाथ घाट पर पुलिस सुरक्षा के बीच किया गया.
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अंतिम यात्रा के दौरान समर्थक ‘दुलारचंद अमर रहें’ के नारे लगाते रहे. शव यात्रा में आगे-पीछे हथियारों से लैस पुलिस बल मौजूद था. परिजनों और ग्रामीणों में इस हत्या को लेकर गहरा आक्रोश देखने को मिला. इससे पहले दो घंटे तक चले पोस्टमॉर्टम के दौरान अस्पताल परिसर में समर्थकों और पुलिस के बीच झड़प भी हुई.

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पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट ने पूरे मामले को और रहस्यमय बना दिया है. सरकारी अस्पताल के डॉक्टर अजय कुमार ने बताया कि दुलारचंद यादव को पैर में गोली लगी थी जो आर-पार निकल गई, लेकिन मौत गोली से नहीं हुई. उनके शरीर पर कई चोटों के निशान मिले हैं, जिससे साफ है कि मौत की कोई दूसरी वजह रही होगी.
घटना गुरुवार दोपहर की है जब दुलारचंद यादव जनसुराज उम्मीदवार पीयूष प्रियदर्शी के साथ चुनाव प्रचार के लिए निकले थे. बसावनचक के पास काफिले पर हमला किया गया, जिसमें दुलारचंद को गोली लगी और बाद में उन पर गाड़ी चढ़ा दी गई. दुलारचंद के पोते रविरंजन के बयान पर भदौर थाने में बाहुबली अनंत सिंह, उनके दो भतीजे रणवीर और कर्मवीर सहित कई अज्ञात लोगों पर हत्या का केस दर्ज हुआ है.

बताया जाता है कि दो दिन पहले दुलारचंद ने मीडिया से बातचीत में अनंत सिंह की पत्नी और मोकामा से राजद प्रत्याशी नीलम देवी पर विवादित टिप्पणी की थी. इसके बाद दोनों गुटों में तनाव बढ़ गया था. हत्या के बाद अनंत सिंह ने सफाई देते हुए कहा कि यह सब सूरजभान सिंह का किया-धरा है, जबकि सूरजभान सिंह और उनकी पत्नी ने अपने ऊपर लगे सभी आरोपों से इनकार किया है.
इस हत्याकांड के बाद मोकामा और आसपास के इलाके में माहौल तनावपूर्ण है. बाढ़ और पंडारक के बाजार बंद रहे. सुरक्षा की दृष्टि से एसएसबी और जिला पुलिस की भारी तैनाती की गई है. ग्रामीणों ने चेतावनी दी है कि अगर न्याय नहीं मिला तो वे चुनाव का बहिष्कार करेंगे.

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80 के दशक में टाल इलाके में दुलारचंद यादव का काफी दबदबा था. उन पर हत्या, रंगदारी और अपहरण के करीब दो दर्जन मामले दर्ज रहे हैं. बाद में उन्होंने राजनीति में कदम रखा और नीतीश कुमार व लालू प्रसाद दोनों के करीबी बन गए.

वर्तमान में वे जनसुराज प्रत्याशी पीयूष प्रियदर्शी के प्रमुख समर्थक थे. स्थानीय स्तर पर माना जा रहा है कि यह हत्या राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता का नतीजा है.
इस बीच चुनाव आयोग ने कहा है कि हिंसा और भड़काऊ गतिविधियों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी. बिहार पुलिस को निर्देश दिया गया है कि मामले की निष्पक्ष जांच कर दोषियों पर शीघ्र कार्रवाई सुनिश्चित की जाए.


























