पटना: आश्विन कृष्ण अष्टमी के इस पावन दिन बिहार और पूर्वी उत्तर प्रदेश की महिलाएं अपने संतान की मंगलकामना और अखंड सौभाग्य की प्राप्ति के लिए जिउतिया का निर्जला व्रत रख रही हैं. इस वर्ष जिउतिया व्रत विशेष रूप से रोहिणी नक्षत्र और जयद् योग में पड़ रहा है, जो इसे और भी शुभ और फलदायक बनाता है. महिलाएं पूरे दिन और रात बिना जल ग्रहण किए अपने संतान की दीर्घायु, स्वास्थ्य और वंश वृद्धि की कामना करती हैं.
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ज्योतिषाचार्य पंडित राकेश झा बताते हैं कि अष्टमी तिथि का आरंभ रविवार सुबह 8:41 बजे से हुआ और यह सोमवार सुबह 6:36 बजे तक रहेगा. इस तिथि में व्रत रखने से माता-पिता अपने संतान के सुख-समृद्धि और घर-परिवार में मंगल की प्राप्ति की कामना करते हैं. इसलिए पारण सोमवार को तिथि समाप्त होने के बाद किया जाएगा.
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जिउतिया व्रत का पौराणिक महत्व भी बेहद रोचक है. कथा के अनुसार राजा जीमूतवाहन ने नागवंश की रक्षा के लिए अपने प्राणों की आहुति दी थी. उनकी करुणा और त्याग की प्रेरणा से यह व्रत त्याग, धर्म और करुणा का संदेश देता है. माना जाता है कि जिउतिया व्रत करने से घर में नागदोष का प्रभाव समाप्त होता है और संतान रोगमुक्त रहती है. कथा में चूल्होरिन और सियारिन नामक दो महिलाओं की कहानी भी जुड़ी हुई है. दोनों ने व्रत रखा, लेकिन सियारिन भूख सहन नहीं कर पाई और मांस का सेवन कर लिया. अगले जन्म में दोनों का पुनर्जन्म हुआ और उनके संतान संबंधी भाग्य में अंतर स्पष्ट हुआ. यही सीख व्रत से जुड़ी महिलाओं को दी जाती है कि त्याग और श्रद्धा से ही सुख और मंगल प्राप्त होता है.
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व्रत के दिन महिलाएं पहले जीमूतवाहन की प्रतिमा कुश से बनाती हैं. इसके बाद माता लक्ष्मी और देवी दुर्गा की पूजा की जाती है. योग्य ब्राह्मण या पंडित से कथा सुनकर दक्षिणा दी जाती है. पूर्व अन्नदान और दान पुण्य का भी विशेष महत्व माना जाता है. ऐसा करने से विपन्नता दूर होती है और धन-धान्य की वृद्धि होती है. पारण में केराव का उपयोग किया जाता है और व्रती महिलाएं पहले से दान किए गए अन्न के बल पर अपने उपवास का समापन करती हैं.
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जिउतिया व्रत न केवल संतान सुख और सौभाग्य देता है बल्कि यह महिलाओं को त्याग, धर्म और करुणा की सीख भी सिखाता है. यह व्रत परिवार में सुख-समृद्धि, स्वास्थ्य और मंगल लाने के लिए सदियों से निभाया जा रहा है. इस साल भी महिलाएं श्रद्धा और भक्ति के साथ अपने संतान के लिए यह उपवास रख रही हैं और पौराणिक कथा के अनुसार अपनी संतान की रक्षा और दीर्घायु सुनिश्चित कर रही हैं.

कंटेंट ब्यूरो एडिटर
सहारा समय बिहार.