लेखक: श्रीनिवास ( वरिष्ठ पत्रकार)
एनडीए में सीटों के वितरण से ये साफ हो गया कि नीतीश कुमार युग अपने समाप्ति पर आ गया। एनडीए में सीटों के वितरण से ये साफ हो गया कि बीजेपी खुद और अपने तीन छद्म नामों से कुल 142 सीट पर चुनाव लड़ेगी और जेडीयू 101 पर।
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चिराग़ पासवान का रुठना और 29 सीटें दे कर मनाना ये सोची समझी बीजेपी की रणनीति है। क्योंकि इन 29 सीटों के साथ बीजेपी की चुनावी सीटों की संख्या सीधे जेडीयू के मुक़ाबले 130 की हो जाती है और उपेंद्र कुशवाहा और मांझी कभी भी बीजेपी से बार्गेन करने की ताकत रखते ही नहीं हैं।
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बीजेपी की पूरी रणनीति को समझिये । बीजेपी को लग रहा है कि इन 142 सीटों पर चुनाव लड़ कर बीजेपी बहुमत के पास पहुंच जायेगी और नीतीश कुमार जो अभी मानसिक अस्वस्थता के अवसाद से जूझ रहें हैं पूरी तरह से अप्रासंगिक हो जाएंगे।
वैसे भी नीतीश कुमार और चिराग़ पासवान के रिश्तों की कड़वाहट सब को मालूम है। 2020 के चुनाव में चिराग़ पासवान ने ख़ुद स्वीकार किया था कि उनका मकसद सिर्फ़ और सिर्फ़ नीतीश कुमार को कमज़ोर करना था और मैं ख़ुद इसका साक्षी हूँ।
मुझे वो तारीख याद है 11 नवंबर 2020 वक़्त शाम के तकरीबन 7 बज रहे थे और बिहार का परिणाम घोषित हो चुका था। हमारा भी बिहार चुनावों के परिणामों की घोषणा के बाद वापस नोएडा रवाना होने के लिये विमानतल पर बस से रवाना हो रहे थे कि अचानक मेरी नज़र उसी बस में चिराग़ पासवान पर पड़ी। वे भी चुनाव के बाद वापस दिल्ली लौट रहे थे।
एक पत्रकार होने के नाते मैंने सोचा कि चिराग़ की पार्टी इतनी बुरी तरह से हारी है तो सांत्वना देना बनता है। मैं चिराग़ की तरफ़ बढ़ा और मुख़ातिब होते हुये कहा ‘ कोई बात नहीं चुनावी परिणाम बुरा रहा पर आपने लड़ाई लड़ी। चिराग़ हंसने लगे और कहा कि मेरे लिये परिणाम बहुत अच्छे रहे और मैं जिस उद्देश्य से चुनाव लड़ा उसमें पूरी तरह सफल रहा और नीतीश कुमार को खींच कर उनकी औक़ात पर ला दिया।
तो ये है चिराग़ की पार्टी को 29 सीटें देने के पीछे का पूरा प्रायोजन वर्ना अगर नीतीश कुमार की चलती तो वे चिराग़ की पार्टी को पाँच सीट भी नहीं देते।