लोक आस्था का महापर्व छठ नहाय-खाय के साथ शनिवार से आरंभ हो रहा है. सूर्य उपासना के इस पावन पर्व को लेकर बिहार में ही नहीं बल्कि विदेशों में बसे भारतीयों में भी भारी उत्साह देखने को मिल रहा है. इस बार खगड़िया के परबत्ता प्रखंड के सियादतपुर अगुवानी पंचायत के अगुवानी गांव में हॉन्गकॉन्ग से लौटी बहू शिवानी सिंह ने अपनी आस्था और कला प्रेम से सबका दिल जीत लिया है.
शिवानी सिंह वर्तमान में हॉन्गकॉन्ग में अपने पति प्रवीण कुमार सिंह (सॉफ्टवेयर इंजीनियर) के साथ रहती हैं. वह हर साल अपने गांव लौटकर छठ व्रत विधि-विधान से संपन्न करती हैं. वर्ष 2022 में उनकी सास रूपा सिंह के स्वास्थ्य कारणों से छठ पूजा न कर पाने पर यह जिम्मेदारी शिवानी को सौंपी गई थी. तब से शिवानी विदेश से लौटकर हर साल छठ पर्व मनाती हैं.
Bihar Election : पुलवामा अटैक से ऑपरेशन सिंदूर तक का जिक्र, विपक्ष को कुत्ते की उपाधि दी!
इस साल शिवानी ने छठ पूजा को एक नया आयाम देने की ठानी है. उन्होंने बिहार की पारंपरिक मंजूषा कला को पूजा सामग्री में शामिल किया है. घाट की सजावट, अर्घ्यदान और पूजा की अन्य वस्तुएँ मंजूषा कला की झलक से सजी रहेंगी. सूप और दीपक का विशेष ऑर्डर भागलपुर से मंगवाया गया है. सूप मंजूषा कलाकार सुमना द्वारा तैयार किया गया, और शिवानी की ननद चांदनी ने इन सामग्रियों के आगमन में मदद की.
Bihar Election : तेजस्वी यादव बोले — बिहार सबसे पिछड़ा राज्य, दिल में इसका दर्द है, एक मौका चाहिए!
शिवानी का कहना है कि छठ सिर्फ आस्था का पर्व नहीं, बल्कि संस्कृति और कला का संगम भी है. उनका उद्देश्य है कि मंजूषा कला जैसी लोककला को विश्व स्तर पर पहचान मिले. इस पहल से गांव की महिलाएं भी प्रभावित हुई हैं और शिवानी पर गर्व महसूस कर रही हैं.
Bihar Election : जनसुराज और अनूप श्रीवास्तव की जोड़ी बन सकती है गोपालगंज की सियासी पिच पर गेमचेंजर!
इस प्रकार, छठ पर्व इस साल शिवानी की आस्था, परंपरा और कला प्रेम के संगम के साथ और भी खास बन गया है. यह उदाहरण है कि कैसे भारतीय परंपरा और लोककला विदेश में रहने वाले लोगों को भी अपनी जड़ों से जोड़ सकती है.


























