गयाजी में 6 सितंबर से पितृपक्ष मेला शुरू होने वाला है, लेकिन उससे पहले ही ऑनलाइन पिंडदान को लेकर विवाद गहरा गया है. गयाजी के तीर्थ पुरोहित समाज ने सरकार और पर्यटन विभाग पर सीधा निशाना साधते हुए कहा कि “ऑनलाइन पिंडदान शास्त्रसम्मत नहीं है, यह लोगों की आस्था के साथ खिलवाड़ और ठगी का जरिया है.”
Bihar : गया का पितृपक्ष मेला अब डिजिटल – एक क्लिक और हो जाएगा पिंडदान!
पंडा समाज का कहना है कि शास्त्रों में स्पष्ट लिखा है – गया जी आकर, तीर्थ पुरोहित के मार्गदर्शन में ही पिंडदान करने से पितरों की मुक्ति संभव है. बिना पुरोहित के आशीर्वाद के कोई भी श्राद्ध अधूरा है. उनका आरोप है कि सरकार आस्था को बाज़ार में बदल रही है और श्रद्धालुओं को गुमराह कर रही है.
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वहीं, प्रेस कॉन्फ्रेंस में पंडा समाज ने विष्णुपद कॉरिडोर का मुद्दा भी उठाया. कहा कि केंद्र से मिली राशि कॉरिडोर क्षेत्र में खर्च होने के बजाय अन्य कामों में लगाई जा रही है, जो पूरी तरह गलत है.
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विष्णुपद मंदिर प्रबंधकारिणी समिति के अध्यक्ष शंभू लाल बिट्ठल ने इसे सनातन पर हमला करार दिया. उनका कहना है कि भगवान श्रीराम, युधिष्ठिर और भीष्म पितामह जैसे महापुरुष भी गयाजी आकर पिंडदान कर चुके हैं, ऐसे में ऑनलाइन पिंडदान का कोई औचित्य नहीं है.
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सबसे बड़ा विरोधाभास यह है कि सरकार धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा देने की बात करती है, वहीं दूसरी ओर वही परंपरा और शास्त्रों को चुनौती दे रही है. एक तरफ श्रद्धालु हजारों किलोमीटर दूर से गयाजी आते हैं, दूसरी ओर “घर बैठे पिंडदान” का प्रचार उनकी आस्था को कमजोर करता है.
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पंडा समाज ने चेतावनी दी है कि अगर सरकार ने इस पर रोक नहीं लगाई तो आंदोलन तेज किया जाएगा.