बिहार: बिहार में तीज पर्व का अपना अलग ही महत्व है. सावन और भादो के महीने में जब चारों ओर हरियाली होती है और बारिश का मौसम सुहावना बनाता है, तब तीज का पर्व महिलाओं के जीवन में आस्था और उत्साह का संदेश लेकर आता है. यह पर्व खासकर विवाहित महिलाओं द्वारा पति की लंबी आयु और परिवार की सुख-समृद्धि के लिए मनाया जाता है, लेकिन अविवाहित युवतियां भी अच्छे वर की प्राप्ति के लिए इस व्रत को करती हैं.

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तीज के अवसर पर बिहार के गांवों और शहरों में विशेष रौनक देखने को मिलती है. महिलाएं पारंपरिक वेशभूषा में सजती-संवरती हैं. लाल, हरे और पीले रंग की साड़ियों, चूड़ियों और मेंहदी से सजे हाथों से पूरा वातावरण आस्था और परंपरा से सराबोर हो जाता है. भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा-अर्चना करके महिलाएं उनसे आशीर्वाद मांगती हैं.
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भोजपुर, पटना, गया, भागलपुर, दरभंगा और मुजफ्फरपुर जैसे जिलों में तीज पर्व की धूम देखने लायक होती है. मंदिरों और शिवालयों में सुबह से ही लंबी कतारें लग जाती हैं. महिलाएं व्रत रखकर भगवान शिव को बेलपत्र, फल-फूल और जल अर्पित करती हैं. गांवों में चौपाल पर और शहरों के मोहल्लों में महिलाएं एकत्र होकर लोकगीत गाती हैं. तीज के अवसर पर पारंपरिक गीतों की गूंज पूरे वातावरण को भक्तिमय बना देती है.
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इस पर्व के दौरान झूला झूलने की परंपरा भी बहुत प्रचलित है. पेड़ों पर डाले गए झूलों पर महिलाएं पारंपरिक गीत गाती और झूलती हैं. यह दृश्य बिहार की संस्कृति और लोक परंपरा को जीवंत कर देता है.
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बाजारों में भी तीज का असर साफ नजर आता है. पटना का बोरिंग रोड, गया का अमास बाजार, भागलपुर का घंटाघर चौक और दरभंगा का टावर चौक जैसे इलाकों में भारी भीड़ रहती है. महिलाएं साड़ी, चूड़ी, गहने और श्रृंगार का सामान खरीदने के लिए दुकानों पर उमड़ पड़ती हैं. मिठाइयों की दुकानों पर घेवर, ठेकुआ और अनरसा की खूब बिक्री होती है.
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आधुनिक दौर में तीज के आयोजन में बदलाव भी देखने को मिलता है. जहां गांवों में यह पर्व पूरी तरह पारंपरिक तरीके से मनाया जाता है, वहीं शहरों में महिलाएं ऑनलाइन पूजा सामग्री और कपड़े मंगवाकर उत्सव को और आधुनिक बना देती हैं. सोशल मीडिया पर भी तीज की तस्वीरें और वीडियो खूब साझा किए जाते हैं, जिससे इस पर्व का उत्साह और भी बढ़ जाता है.
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तीज के अवसर पर प्रशासन भी पूरी तैयारी करता है. मंदिरों और भीड़भाड़ वाले इलाकों में विशेष सुरक्षा व्यवस्था की जाती है. पटना, गया और मुजफ्फरपुर जैसे बड़े शहरों में ट्रैफिक पुलिस तैनात रहती है ताकि भीड़ के बीच यातायात सुचारू रहे.
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कुल मिलाकर, तीज पर्व बिहार की सांस्कृतिक और धार्मिक विरासत का प्रतीक है. यह पर्व महिलाओं की आस्था और शक्ति का उत्सव है, जो परिवार और समाज में सकारात्मक ऊर्जा और एकजुटता का संदेश देता है. तीज न सिर्फ धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक जीवन को भी जीवंत बनाए रखता है.
