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Bihar News : शिक्षा-विकास पीछे, क्राइम-प्रोफाइल आगे, ऐसा कैसा नया बिहार?

बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के नतीजों के बाद सत्ता गठन की तैयारियों के बीच एक चिंताजनक आँकड़ा सामने आया है. नए चुने गए 243 विधायकों में से 130 यानी 53 प्रतिशत विधायकों पर आपराधिक मामले दर्ज हैं. इनमें से 102 विधायक (42%) गंभीर आपराधिक मामलों जैसे हत्या, हत्या के प्रयास, अपहरण और रंगदारी जैसी धाराओं में आरोपी हैं. यह जानकारी ADR (Association for Democratic Reforms) की रिपोर्ट के आधार पर सामने आई है.

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भाजपा, जदयू और राजद—तीनों दलों में आपराधिक पृष्ठभूमि वाले विधायकों की संख्या उल्लेखनीय है. भाजपा के 89 में से 54 (61%), जदयू के 85 में से 31 (36%) और राजद के 25 में से 18 (72%) विधायकों के खिलाफ केस दर्ज हैं. गंभीर मामलों की बात की जाए तो भाजपा के 43, जदयू के 23 और राजद के 14 विजेता उम्मीदवारों पर गंभीर धाराएँ चल रही हैं. रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि NDA के 6 विधायक हत्या के मामलों में आरोपी हैं, जिनमें 3 भाजपा और 3 जदयू से हैं. महिलाओं के खिलाफ अपराधों में भी NDA के 6 विधायक नामित हैं.

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आर्थिक संपत्ति के स्तर पर भी आंकड़े महत्वपूर्ण हैं. जदयू के 92%, भाजपा के 87% और कांग्रेस के 100% विधायक करोड़पति हैं. शिक्षा के स्तर पर देखा जाए तो 243 में से 152 विधायक स्नातक या उससे अधिक शिक्षित हैं जबकि 7 विधायक केवल साक्षर हैं.

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रिपोर्टिंग में डेटा विसंगतियों की बात भी सामने आई है. उदाहरण के तौर पर जदयू विधायक अमरेंद्र कुमार पांडेय पर 14 आपराधिक मामले दर्ज बताए गए हैं, लेकिन गंभीर धाराओं की संख्या रिपोर्टों में अलग-अलग दिखाई दी है. इसी प्रकार साहेबगंज से भाजपा विधायक राजू सिंह के मामलों में भी गंभीरता संबंधित विवरण विरोधाभासी मिला है.

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बिहार विधानसभा में अपराध, संपत्ति और शिक्षा तीनों के मिश्रित समीकरण अब जनता और लोकतांत्रिक व्यवस्था के लिए गंभीर चर्चा का विषय बन चुके हैं. अगले पाँच वर्षों में विधायकों की भूमिका और उनकी छवि, राज्य की कानून व्यवस्था और विकास दिशा तय करने में महत्वपूर्ण होगी.