पटना: बिहार में चुनाव से पहले 1200 एकड़ कृषि योग्य जमीन भाजपा और जदयू के इशारे पर अदाणी पावर को सौंपे जाने का मामला कांग्रेस के लिए बड़ा राजनीतिक मुद्दा बन गया है. कांग्रेस ने इसे किसानों और बिहार की जनता के हितों के खिलाफ कदम करार दिया है.
बिहार प्रदेश कांग्रेस के मीडिया विभाग के चेयरमैन और मुख्य प्रवक्ता राजेश राठौड़ ने आज पटना के सदाकत आश्रम में संवाददाता सम्मेलन आयोजित कर सरकार पर तीखा हमला बोला. राठौड़ ने कहा कि “एक पेड़ मां के नाम” का नारा देने वाली भाजपा सरकार 33 वर्षों के लिए 1 रुपए प्रति वर्ष की दर पर और दस लाख नकदी पेड़ों की कुर्बानी के बदले यह जमीन अदाणी पावर को दे रही है. उन्होंने कहा कि इस परियोजना से बिजली देश में सबसे महंगी प्रति यूनिट 6.75 रुपए में बिकेगी.
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राजेश राठौड़ ने किसानों के हक और मुआवजे का मुद्दा उठाते हुए कहा कि सर्किल रेट से चार गुना मुआवजा किसानों को देना चाहिए और यदि पांच साल तक जमीन का इस्तेमाल नहीं होता है तो इसे भू स्वामियों को वापस लौटाना चाहिए. उन्होंने सवाल उठाया कि सरकारी कंपनियों के बावजूद प्राइवेट अदाणी पावर को क्यों यह जमीन दी जा रही है, और एनटीपीसी जैसे सरकारी उपक्रमों को प्रोत्साहित क्यों नहीं किया गया.
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कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा कि यह कदम केवल चुनावी चंदा और निजी फायदों के लिए उठाया जा रहा है, जबकि स्थानीय लोगों और बेरोजगार युवाओं को रोजगार के अवसर मिलने चाहिए. उन्होंने मांग की कि अदाणी पावर परियोजना में स्थानीय युवाओं को प्राथमिकता के आधार पर रोजगार दिया जाए.
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संवाददाता सम्मेलन का संचालन डॉ स्नेहाशीष वर्धन पाण्डेय ने किया. इस दौरान कांग्रेस के कई वरिष्ठ नेता जैसे ई. ज्ञान रंजन गुप्ता, असित नाथ तिवारी, सौरभ सिंघा, राजीव मेहता, शशि रंजन यादव और शशांक शेखर मौजूद रहे.
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राजेश राठौड़ ने स्पष्ट कहा कि बिहार कांग्रेस इस मामले की जांच और उचित कार्रवाई की मांग करती है और किसानों के अधिकारों की रक्षा के लिए सरकार पर दबाव बनाएगी.
