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Lakhisarai : बड़हिया में इंसाफ की किताब बंद… और सरकार बजा रही है चैन की बंसी!

लखीसराय: बिहार में अपराधियों का खौफ़ और प्रशासन की लापरवाही एक बार फिर सुर्खियों में है. बड़हिया में पुस्तक भंडार संचालक शत्रुघ्न साव की निर्मम हत्या ने पूरे इलाके को दहला दिया है. घटना के बाद परिजनों का आक्रोश और स्थानीय लोगों का ग़ुस्सा सरकार और प्रशासन के खिलाफ साफ झलक रहा है.

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रविवार को प्रदेश राजद का शिष्टमंडल पीड़ित परिवार से मिलने पहुंचा. नेताओं ने परिजनों को सांत्वना दी और सरकार को कटघरे में खड़ा करते हुए कहा कि “बिहार में इंसाफ अब सिर्फ भाषणों तक सीमित है, अपराधियों पर कार्रवाई नाम की चीज़ कहीं नहीं दिख रही.” राजद नेताओं ने स्पष्ट चेतावनी दी है कि जब तक परिजनों को न्याय नहीं मिलेगा, वे सड़क से सदन तक आवाज उठाएंगे. शिष्टमंडल में बिहार प्रदेश राष्ट्रीय जनता दल के प्रधान महासचिव सह विधायक रणविजय साहू, बिहार प्रदेश राजद व्यवसायिक प्रकोष्ठ के प्रदेश अध्यक्ष गोपाल गुप्ता, लखीसराय के पूर्व विधायक फुलेना सिंह, जिला राजद के उपाध्यक्ष प्रेम सागर चौधरी, जिला युवा राजद के अध्यक्ष विनय कुमार साहू एवं राजद नेता एसपी सिंह शामिल थे.

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इधर पुलिस का दावा है कि एक व्यक्ति को हिरासत में लिया गया है और जांच जारी है. लेकिन यही “जांच जारी है” वाली लाइन बिहार की आम जनता के लिए अब मज़ाक बन गई है. हर बड़ी घटना के बाद यही रट लगाई जाती है, और फिर मामला धीरे-धीरे दब जाता है.

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लोगों का कहना है कि सरकार अपराधियों पर सख्ती दिखाने की बजाय सिर्फ बयानबाज़ी में व्यस्त है. सवाल यह है कि अगर राजधानी से लेकर छोटे कस्बों तक आम व्यापारी सुरक्षित नहीं हैं तो “सुशासन” का ढिंढोरा क्यों पीटा जा रहा है?

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बड़हिया हत्याकांड ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि बिहार में अपराधियों के हौसले बुलंद हैं और सरकार सिर्फ औपचारिकता निभाने में लगी है. जनता पूछ रही है-

❝किताब बेचने वाला सुरक्षित नहीं, तो कानून की किताब का क्या मतलब?❞

रिपोर्ट: कृष्णदेव प्रसाद यादव, लखीसराय.

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