छपरा : 79वें स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर छपरा में सरयू नदी का अनोखा दृश्य देखने को मिला. बाढ़ से उफनाई इस नदी में कुछ उत्साही युवकों ने बीच नदी जाकर लगभग 50 फीट लंबा तिरंगा फहराया और भारत माता के जयघोष के साथ जोरदार नारे लगाए. यह परंपरा छपरा के युवाओं द्वारा हर वर्ष 15 अगस्त और 26 जनवरी को निभाई जाती है. इस दौरान सरयू नदी के किनारे बच्चों ने सात शहीदों को याद करते हुए उनके साहस को जीवंत कर दिया.
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इस आयोजन में बिहार के प्रसिद्ध सैंड आर्टिस्ट अशोक कुमार और उनकी टीम की अहम भूमिका रही. अशोक कुमार, जिन्हें बिहार का सुदर्शन पटनायक कहा जाता है, बालू से नदी किनारे कई महापुरुषों और विषयों पर आकर्षक कलाकृतियाँ बनाते हैं. इस वर्ष बाढ़ के बावजूद उनकी टीम ने उत्साह दिखाते हुए नदी में तैरते हुए तिरंगा फहराया.
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अशोक कुमार न केवल एक उत्कृष्ट सैंड आर्टिस्ट हैं, बल्कि अच्छे तैराक और गोताखोर भी हैं. उन्होंने अपने बचपन से ही बालू कला में प्रशिक्षण लिया और अब इसे पेशेवर रूप दे रहे हैं. अशोक कला पंक्ति नामक आर्ट स्कूल के माध्यम से युवाओं को सैंड आर्ट सिखाते हैं और उनके शौक को समाज में सकारात्मक दिशा देने का काम कर रहे हैं.
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इस तरह छपरा में युवा, कला और देशभक्ति का अद्वितीय मेल देखने को मिला. बाढ़ की कठिन परिस्थितियों के बावजूद युवाओं और कलाकारों का उत्साह कम नहीं हुआ, और उन्होंने स्वतंत्रता दिवस पर तिरंगे की शान बनाए रखी. इस घटना ने स्थानीय लोगों के बीच गर्व और देशभक्ति की भावना को और भी प्रबल कर दिया.
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छपरा की यह अनूठी परंपरा यह संदेश देती है कि देशभक्ति और उत्साह किसी परिस्थिति या बाधा से प्रभावित नहीं होता. युवा ऊर्जा, कला और साहस के साथ मिलकर इसे हर वर्ष नए उत्साह और रचनात्मकता के साथ जीवंत करते हैं.
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