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23 जून 1985 : एक ऐसी उड़ान जब आसमान भी सहम गया

कहानी है 23 जून 1985 सुबह की. जब एयर इंडिया की फ्लाइट 182 montreal कनाडा से लंदन और दिल्ली जाने के लिए उड़ान भरती है. किसी को क्या पता था कि यह उड़ान कभी मंजिल तक नहीं पहुंचेगी. ये भारत का सबसे बड़ा विमान हादसा था जिसे दुनियां में कनिष्क विमान हादसे के नाम से जाना जाता है.

फ्लाइट का नाम Emperor kanishka एक शक्ति शाली सम्राट के नाम पर रखा गया. विशाल बोइंग 747, लेकिन उड़ान के कुछ समय बाद ही, जब विमान लगभग 31000 फ़ीट की ऊंचाई पर उड़ रहा था आयररलैंड के तट के पास 7:14 मिनट पर हवा में भयानक विस्फोट के साथ विमान टुकड़ो में बंट गया और 329लोग मारे गए. इनमे नदिया के पार” फिल्म के अभिनेता इंद्र ठाकुर अपनी पत्नी और बच्चों सहित 268 लोग भारत के मूल नागरिक थे 24 बच्चे भी शामिल थे और 27 लोग ब्रिटेन व 10अन्य देशो के थे कोई भी जीवित नहीं बचा .

जांच में सामने आया कि यह कोई तकनीकी खराबी नहीं थी, कनाडा में सक्रिय ख़ालिस्तानी आतंकवादियों ने विमान में बम रखा था इनका मकसद सिर्फ भारत से बदला लेना था खासकर ऑपरेशन ब्लूस्टार और इंदिरा गांधी की हत्या के बाद उपजे गुस्से को अंजाम देना.

इंदरजीत सिंह रियात नाम के एक आतंकी को दोषी ठहराया गया, लेकिन अन्य प्रमुख साजिशकर्ता तालविंदर सिंह परमार को कभी सजा नहीं मिली. कनाडा सरकार पर लापरवाही के आरोप लगे क्योंकि इस हमले के बारे में पहले से चेतावनी थी जिसे नजरअंदाज किया गया .

हर साल 23 जून को कनाडा, भारत और अन्य देशो में श्रद्धांजलि सभाएं होती हैं ये हादसा सिर्फ एक दुर्घटना नहीं बल्कि एक जागृति का संकेत था, कि आतंकवाद की आग दूर बैठकर भी झुलसा सकती है.

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