जैसे-जैसे उम्र बढ़ती है, वैसे-वैसे शरीर ही नहीं, लोगों का स्वभाव भी बदलने लगता है. अक्सर देखा गया है कि 60 साल की उम्र पार करते ही कई लोग पहले से ज़्यादा चिड़चिड़े और गुस्सैल हो जाते हैं. इसके पीछे कई शारीरिक, मानसिक और सामाजिक कारण हैं, जिन्हें समझना ज़रूरी है.
कानपुर के मनोविशेषज्ञ डॉ. तरुण निगम के अनुसार, उम्र बढ़ने के साथ दिमाग की कोशिकाएं कमजोर होने लगती हैं. सोचने-समझने की क्षमता पहले जैसी नहीं रहती. इससे बुजुर्ग छोटी-छोटी बातों पर परेशान हो जाते हैं. बुजुर्गो को अक्सर नींद कम आती है ज़ब नींद पूरी नहीं होतीं तो थकान और तनाव का असर उनके व्यवहार में दिखता है कई बार बीमारियों के कारण वे अधिक बेचैन हो जाते है परिवार में कम संवाद और सहयोग के कारण बुजुर्ग खुद को उपेक्षित महसूस करने लगते हैं यही भावनाएं उन्हें चिड़चिड़ा बनाती हैं.
कानपुर के मनोविशेषज्ञ डॉ. तरुण निगम बताते हैं, “बुजुर्गों को सबसे ज़्यादा ज़रूरत सम्मान, समय और समझ की होती है. अगर परिवार उनके साथ समय बिताए और बातचीत करे, तो वे खुद को अकेला महसूस नहीं करते और उनका स्वभाव भी संतुलित रहता है.”
उन्होंने कहा कि हल्की एक्सरसाइज और योग से मानसिक तनाव कम होता है. घर के फैसलों में बुजुर्गों को शामिल करना चाहिए. हर दिन कुछ वक्त उनकी बात सुनने और समझने के लिए निकालें. ताकि वे अच्छा महसूस करें.
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