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Teenage Parenting Tips: विशेषज्ञ की 7 सलाह

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13 से 19 साल की उम्र यानी टीनएज, बच्चों की ज़िंदगी का सबसे चुनौतीपूर्ण दौर होता है. न तो पूरी तरह बच्चे रहते हैं और न ही बड़े बन चुके होते हैं . इसी उम्र में पहचान, आज़ादी और भावनात्मक उथल-पुथल की तलाश शुरू होती है . ऐसे में माता-पिता की भूमिका बहुत अहम हो जाती है.

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डॉ. नीरजा माथुर (वरिष्ठ बाल मनोवैज्ञानिक, चाइल्ड बिहेवियर एक्सपर्ट, दिल्ली चाइल्ड गाइडेंस क्लिनिक) “टीनएज में बच्चों को गाइड करने के लिए प्यार और अनुशासन दोनों का संतुलन जरूरी होता है . केवल रोक-टोक या आज़ादी देने से काम नहीं चलता . उन्हें समझने की जरूरत है, नहीं तो वे घर से भावनात्मक रूप से कटने लगते हैं .”

  1. खुलकर संवाद करें बच्चों से रोज़ बातचीत करें – सिर्फ पढ़ाई या नियमों के बारे में नहीं, बल्कि उनके दोस्तों, भावनाओं और मन की बातों पर भी .
    टीनएज बच्चे जब बात करते हैं तो उन्हें टोकें नहीं, सुनें .
    सवाल पूछने पर उन्हें जिज्ञासु मानें, बद्तमीज़ नहीं .

विशेषज्ञ की सलाह:
“अगर वे आपसे बात नहीं करना चाहते तो डांटें नहीं, समय दें . धीरे-धीरे भरोसा बनाएं .”

  1. सीमाएं तय करें लेकिन आज़ादी भी दें मोबाइल, इंटरनेट और बाहर जाने के समय को लेकर सीमाएं तय करें .
    लेकिन हर बार शक या डर दिखाना ठीक नहीं .
    उन्हें भरोसा दें कि आप उनके साथ हैं, कंट्रोल करने के लिए नहीं, गाइड करने के लिए हैं .
  2. उन्हें समझें, ना कि बदलें हो सकता है उनके कपड़े, सोच या पसंद आपसे अलग हो, लेकिन ज़रूरी नहीं कि वह गलत हो .
    हर बात में ‘हमारे समय में ऐसा नहीं होता था’ कहने से वे दूरी बना लेते हैं .
    उन्हें यह महसूस कराएं कि उनका अनुभव भी वैध है .
  3. गुस्से या विद्रोह का मतलब समझें

डॉ. नीरजा बताती हैं, “टीनएज में हार्मोनल बदलाव, प्रतिस्पर्धा और पहचान की खोज उन्हें चिड़चिड़ा बना सकती है . ऐसे में डांटने से ज़्यादा ज़रूरी है यह जानना कि अंदर क्या चल रहा है .”

  • जब बच्चा गुस्से में हो, उसी वक्त बहस न करें
  • शांत होकर बात करें और उसकी भावनाओं की वजह खोजें
  1. रोल मॉडल बनें, पुलिस नहीं . आप जो कह रहे हैं, खुद भी वैसा व्यवहार करें .
    अगर आप दिनभर फोन में रहते हैं तो उन्हें मोबाइल से दूर रहने की सीख असरदार नहीं होगी .
    उनका आदर्श बनने की कोशिश करें .
  2. भावनात्मक सुरक्षा दें. जब वे किसी गलती को स्वीकार करें तो उन्हें डांटें नहीं, सराहें कि उन्होंने सच बोला .
    यह भरोसा बनाएं कि चाहे कुछ भी हो जाए, माँ-बाप का प्यार बिना शर्त है .
  3. करियर और पढ़ाई को लेकर दबाव न बनाएं. उन्हें एक्सप्लोर करने दें कि वे क्या करना चाहते हैं .
    करियर गाइडेंस जरूर दें लेकिन अपनी अधूरी इच्छाएं उन पर न थोपें .

Teenage बच्चों को न तो पूरी आज़ादी चाहिए, न पूरी सख्ती . उन्हें चाहिए समझ, समर्थन और सही दिशा . एक संवेदनशील, धैर्यवान और संवाद करने वाला पेरेंट ही टीन एज की जटिलता को प्यार से पार कर सकता है .

डॉ. नीरजा माथुर की अंतिम सलाह:
“बच्चे आपको समझें, उससे पहले ज़रूरी है कि आप उन्हें समझें . तभी रिश्ता मजबूत रहेगा और वे आपसे कभी नहीं छिपाएंगे .”

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